मोदी सरकार ने लोकसभा में पेश किया महिला आरक्षण विधेयक, 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पेश कर दिया। इस विधेयक का नाम 'नारी शक्ति वंदन विधेयक' रखा गया है, जिसके जरिए सरकार ने संविधान के कई प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने यह कहते हुए हंगामा कहा कि उन्हें विधेयक की कॉपी नहीं दी गई है। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विधेयक सांसदों को दिए गए टैबलेट में है।
विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री ने क्या कहा?
कानूनी मंत्री मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा, "हम महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने जा रहे हैं। हम संविधान के अनुच्छेद 239AA, 330A, 332A, 334A में संशोधन करने जा रहे हैं।" उन्होंने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 239AA में संशोधन करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएंंगी और अनुच्छेद 330A में संशोधन करके लोकसभा में SC/ST जाति की महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी।"
कानूनी मंत्री ने और क्या कहा?
कानूनी मंत्री मेघवाल ने कहा कि अनुच्छेद 334A के संशोधन के माध्यम से लोकसभा में महिला आरक्षण की अवधि 15 साल होगी और संसद को आरक्षण अवधि को बढ़ाने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 332A में संशोधन करते हुए राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा।" उन्होंने कहा, "इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद लोकसभा में महिलाओं की संख्या बढ़कर 181 हो जाएगी।"
कांग्रेस ने जानबूझकर विधेयक नहीं किया पारित- कानून मंत्री मेघवाल
कानूनी मंत्री मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस ने जानबूझकर विधेयक पारित नहीं किया था। उन्होंने कहा, "सबसे पहले यह विधेयक सितंबर, 1996 में देवगौड़ा जी के समय आया। फिर दिसंबर, 1998 अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में आया और फिर 13वीं लोकसभा में भी आया।" उन्होंंने कहा, "मनमोहन सिंह के समय जो विधेयक आया, वो लोकसभा में नहीं राज्यसभा में आया। 9 मार्च, 2010 में राज्यसभा ने इसे पारित किया, लेकिन 15वीं लोकसभा भंग होने से विधेयक रद्द हो गया।"
विधेयक में आरक्षण के अंदर आरक्षण के क्या प्रावधान?
विधेयक में महिलाओं के लिए आरक्षित 33 प्रतिशत सीटों में से 33 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। हालांकि, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को अलग से कोई आरक्षण नहीं दिया गया है और ये इस विधेयक पर विवाद का एक बड़ा कारण बन सकता है। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा नियमों के हिसाब से ये विधेयक परिसीमन के बाद 2029 में ही लागू हो सकेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने की OBC महिलाओं को आरक्षण देने की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला आरक्षण विधेयक पर आपत्ति जताते हुए कहा, "OBC महिलाओं को आरक्षण देना चाहिए। कमजोर वर्ग की महिलाओं के साथ भेदभाव होता है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक में OBC महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए।"
अधीर रंजन ने कहा- कांग्रेस राज में लाया गया था विधेयक
मंगलवार को सदन में महिला आरक्षण विधेयक पेश होने के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह विधेयक कांग्रेस सरकार में लाया गया था। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें टोकते हुए कहा, "यह विधेयक उस समय पारित न होने से रद्द हो गया था और इसे नए सिरे से लाया गया है। यह नया विधेयक है, पहले वाला रद्द हो गया है।"