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पश्चिम बंगाल: मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद उठी राष्ट्रपति शासन की मांग, जानिए क्या मुमकिन है
पश्चिम बंगाल में उठ रही राष्ट्रपति शासन की मांग

पश्चिम बंगाल: मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद उठी राष्ट्रपति शासन की मांग, जानिए क्या मुमकिन है

लेखन गजेंद्र
Apr 14, 2025
03:16 pm

क्या है खबर?

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में हुई हिंसा के बाद कर्फ्यू जैसी स्थिति है। यहां दुकानें बंद हैं और सड़कों पर सुरक्षा बल तैनात है। जिले के सुती, समसेरगंज, धुलियान और जंगीपुर में अब हालात थोड़े शांत हैं, लेकिन तनाव बना हुआ है। जिला प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों में धारा 163 लागू की है। बंगाल में हिंसा के बाद यहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठ रही है। क्या यह संभव है? आइए, जानते हैं।

हिंसा

कैसे शुरू हुई थी हिंसा?

वक्फ कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 8 अप्रैल को हिंसा भड़की थी, जो उत्तर 24 परगना और मालदा तक फैली। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकारी बसों और वाहनों में आग लगा दी और पुलिस पर पथराव किया। निमटीटा रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन पर पथराव किया था। हिंसा में 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे और 3 मौत होने की भी खबर थी। पुलिस ने अब तक 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है।

मांग

कौन उठा रहा राष्ट्रपति शासन की मांग?

पश्चिम बंगाल में हिंसा के बाद भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य में चुनाव से पहले राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए और राष्ट्रपति शासन के तहत चुनाव कराना चाहिए। दूसरी तरफ, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री राजभूषण चौधरी ने भी राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करते हुए कहा कि बंगाल में हिंदुस्तान की नहीं बल्कि रोहिंग्या की सरकार है, वहां कानून व्यवस्था के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए।

संविधान

राष्ट्रपति शासन के लिए क्या कहता है संविधान?

संविधान में 3 तरह की आपात स्थितियों का प्रावधान किया गया है, जिसमें राष्ट्रीय आपात से जुड़े मामलों में अनुच्छेद 352, राज्य आपातकाल के मामलों में अनुच्छेद 356 और वित्तीय आपातकाल के मामलों में अनुच्छेद 360 का उपयोग किया जा सकता है। अनुच्छेद 356 के तहत अगर कोई राज्य संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार काम करने में असमर्थ है, तो केंद्र राज्य मशीनरी को अपने नियंत्रण में कर सकती है। भारत में अनुच्छेद 356 कई बार लागू हुआ है।

राष्ट्रपति शासन

राष्ट्रपति शासन लगाने पर क्या होता है?

राष्ट्रपति शासन लागू होने से राज्य की शासन व्यवस्था सीधे राष्ट्रपति के हाथों में आ जाती है। राष्ट्रपति अपने प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल को प्रशासन की जिम्मेदारी देते हैं। राष्ट्रपति शासन में राज्य के कानून संसद बनाती है। अगर संसद सत्र न चल रहा हो तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकते हैं। राष्ट्रपति शासन अधिकतम 6 महीने के लिए लागू किया जाता है, लेकिन इसे संसद की अनुमति से 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

शासन

क्या पश्चिम बंगाल में लग सकता है राष्ट्रपति शासन?

किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन वहां के बिगड़ते हालात और राज्य सरकार द्वारा संविधान के अनुसार काम नहीं कर पाने की स्थिति में लगाया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के मुताबिक, राज्यों की विधानसभा की 2 बैठकों के बीच में 6 महीने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए। हाल में मणिपुर में इसी आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। पश्चिम बंगाल में ऐसी स्थिति नहीं दिख रही है।

शासन

देश में कब-कब लागू हुआ राष्ट्रपति शासन?

भारत में 1950 में संविधान लागू होने के बाद 132 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। सबसे पहले राष्ट्रपति शासन 1951 में पंजाब में वहां की राजनीतिक अस्थिरता के कारण लगाया गया था। सबसे अधिक बार राष्ट्रपति शासन 1970 से 1980 के बीच पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में लगाया गया था। सबसे अधिक बार राष्ट्रपति शासन उत्तर प्रदेश और पंजाब में लगा है। पश्चिम बंगाल में 4 बार राष्ट्रपति शासन लगा है।

जानकारी

अभी क्या है मुर्शिदाबाद में हालात?

मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद से 200 से अधिक लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और 3 जिलों में इंटरनेट प्रतिबंधित है। पिछले 36 घंटों से यहां शांति है और कोई हिंसा नहीं हुई है। पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल इलाकों में मार्च कर रहे हैं।