भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने पर क्यों होता है विवाद और क्या है इससे जुड़ा समझौता?
क्या है खबर?
भारत और बांग्लादेश के मध्य बढ़ते तनाव के बीच अब नया विवाद खड़ा हो गया है।
दरअसल, रविवार को बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने ढाका में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब कर भारत पर बांग्लादेश से लगने वाली सीमा पर 5 खास जगहों पर बाड़बंदी का आरोप लगाते हुए विरोध जताया है।
इसके बाद सोमवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी बांग्लादेश के उच्चायुक्त नूरल इस्लाम को तलब कर लिया।
आइए इस विवाद के बारे में विस्तार से जानते हैं।
तनाव
भारत और बांग्लादेश के बीच मौजूदा तनाव का कारण क्या है?
दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास को देखते हुए सीमा सुरक्षा बल (BSF) बांग्लादेश के 3 जिलों की सीमाओं पर बाड़ (कंटीले तार) लगाने का काम कर रही है। बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड (BGB) ने इसी पर आपत्ति जताई है।
बता दें कि BSF ने दोनों देशों के बीच स्थिति 4,156 किलोमीटर लंबी सीमा में से 3,271 किलोमीटर पर बाड़ लगाई है और 885 किलोमीटर सीमा बाकी है।
इधर, BGB ने कई हिस्सों में बाड़ पर कड़ी आपत्ति है।
जानकारी
BGB को किस पर है आपत्ति?
BBC बांग्ला के मुताबिक, BGB अधिकारियों की आपत्ति का मुख्य कारण चपैनवाबगंज, 3 बीघा कॉरिडोर, नौगांव के पटनीतला और लालमोनिरहाट में भारत का जीरो लाइन के 150 गज के भीतर निर्माण कार्य शुरू करना है। वह इसे अवैध बता रही है।
सवाल
क्या है जीरो लाइन और कितनी है इसकी लंबाई?
जीरो लाइन एक काल्पनिक रेखा है, जो दोनों देशों की सीमा निर्धारित करती है। इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा भी कहा जाता है।
इसका उपयोग स्पष्ट सीमा विभाजन और प्रबंधन के लिए किया जाता है। इसकी कुल लंबाई 4,096 किलोमीटर है। यह सीमा भारत के पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, और मिजोरम से लगती है।
बांग्लादेश-भारत संयुक्त सीमा निर्देश-1975 के अनुसार, बाड़ या सैनिकों की तैनाती जीरो लाइन से लगभग 150 गज या 137 मीटर दूर पर ही बनाई जा सकती है।
जानकारी
बाड़ लगाने पर क्यों हुआ है विवाद?
BGB के अनुसार, दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत कोई भी देश बाड़ लगाने से पहले दूसरे देश को बताएगा और विश्वास में लेगा। ऐसा न करने पर इसे समझौतों का उल्लंघन माना जाता है और भारत ने इसी का उल्लंघन किया है।
समझौता
बाड़ लगाने को लेकर दोनों देशों के बीच क्या है समझौता?
बाड़ लगाने की पहल 1985 के असम समझौते पर आधारित है, जिसका उद्देश्य बांग्लादेश से अनियमित प्रवास को रोकना था।
हालांकि, हमेशा से ही दोनों देशों के बीच बाड़ लगाने का काम विवादास्पद रहा है। ये स्थानीय समुदायों को प्रभावित करता है जो इनके जरिए सीमा पार व्यापार और आवाजाही करते हैं।
बाड़ लगाने को सीमा के बढ़ते सैन्यीकरण से जोड़ा गया है, जिससे सुरक्षा बलों और स्थानीय आबादी के बीच हिंसा और टकराव की घटनाएं होती हैं।
प्रक्रिया
समझौते के तहत क्या है बाड़ लगाने की प्रक्रिया?
समझौते के तहत बाड़ लगाने के पहले चरण में दोनों देशों के अधिकारियों की मौजूदगी में सीमा के सटीक स्थान को चिन्हित करने के लिए सर्वेक्षण किया जाता है। इससे विवाद की कोई संभावना नहीं रहती है।
इसके बाद आपसी सहमति से सीमा के पास बाड़ लगाने के लिए जरूरी भूमि को अधिग्रहित किया जाता है।
यह भूमि आमतौर पर सीमा से 150 गज दूरी पर स्थित होती है ताकि सुरक्षा बलों को निगरानी के लिए जगह मिल सके।
निर्माण
सीमा पर कैसे लगाई जाती है बाड़?
बाड़ का निर्माण कई चरणों में होता है। बाड़ को सहारा देने के लिए कंक्रीट के खंभे लगाए जाते हैं और उनके बीच कांटेदार तार होते हैं।
कुछ जगहों पर ऐसे तार होते हैं, जिससे बिजली प्रवाहित की जा सके। बाड़ के साथ-साथ गश्त के लिए रास्ते बनाए जाते हैं और कुछ जगहों पर निगरानी टावर भी बनते हैं।
यह बाड़ भारत-बांग्लादेश सीमा के बड़े हिस्से पर लगाई गई है, लेकिन कुछ हिस्से संवेदनशील होने के कारण बाड़ रहित हैं।
कारण
बाड़ पर विवाद होने का क्या है कारण?
दोनों देशों की सीमा का कुछ हिस्सा स्पष्ट नहीं है। ऐसे में सटीक स्थान को लेकर विवाद हो जाता है।
कई बार बाड़ लगाने से स्थानीय किसानों की कृषि भूमि कट जाती है या उनकी भूमि बाड़ के दूसरी तरफ चली जाती है, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित होती है।
सीमा पर रहने वाले लोगों का पड़ोसी देश में व्यापार, सामाजिक या पारिवारिक कारणों से आवागमन होता है। बाड़ लगने से वह बाधित होता है और फिर विवाद होता है।
अन्य
राजनीतिक कारण भी है विवाद की जड़
बांग्लादेश में कुछ राजनीतिक दल बाड़ लगाने को भारत की आक्रामकता या वर्चस्ववादी नीति के रूप में देखते हैं।
दोनों देशों में सीमावर्ती इलाकों में बाड़ लगाने का मुद्दा स्थानीय राजनीति में भी संवेदनशील होता है। स्थानीय नेता इसे अपने समुदायों के खिलाफ कार्रवाई के रूप में इसे पेश करते हैं।
ऐसे में दोनों पक्ष चाहते हैं कि बाड़ लगाने पर उन्हें सूचना देने के साथ विश्वास में भी लिया जाए। इससे वह राजनीतिक मुद्दों को शांत कर सकते हैं।