
#NewsBytesExplainer: उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुई हिंसा में प्रशासन पर उंगलियां क्यों उठ रहीं?
क्या है खबर?
उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में 8 फरवरी को प्रशासन द्वारा मदरसे और मस्जिद को तोड़ने के बाद हिंसा भड़क गई थी।
इस हिंसा ने पूरे हल्द्वानी को अपनी चपेट में ले लिया, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए।
अब मामले में स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई पर जन प्रतिनिधियों और लोगों ने सवाल खड़े किए हैं।
आइए जानते हैं कि क्यों हल्द्वानी हिंसा को लेकर प्रशासन पर ऊंगलियां उठ रही हैं।
सवाल
क्या प्रशासन ने इंटेलिजेंस इनपुट को किया नजरअंदाज?
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट ने 31 जनवरी और 3 फरवरी के बीच प्रशासन को अपनी कई रिपोर्ट्स भेजी थीं।
इनमें चेताया गया था कि मस्जिद या मदरसे को गिराने के समय बल प्रयोग से हालात बिगड़ सकते हैं और कार्रवाई सुबह के वक्त की जानी चाहिए।
उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता राजीव लोचन साह ने बताया कि प्रशासन ने लोकल इंटेलिजेंस के इनपुट को नजरअंदाज किया और कार्रवाई में जल्दबाजी की गई।
प्रशासन
प्रशासन ने इंटेलिजेंस रिपोर्ट पर क्या कहा?
इंटेलिजेंस इनपुट को नजरअंदाज किए जाने के आरोपों पर नैनीताल की जिलाधिकारी वंदन सिंह ने कहा कि इनपुट के आधार पर ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान टीम पूरी तरह से तैयार थी और यही वजह है कि टीम में से किसी को जानलेवा चोट नहीं आई।
उन्होंने कहा कि शाम को इसलिए कार्रवाई की क्योंकि उपद्रवी सुबह के वक्त रेलवे को नुकसान पहुंचा सकते थे और पूरा अभियान शांतिपूर्वक चला, लेकिन फिर उपद्रवियों का गुस्सा थाने पर निकला।
आरोप
क्यों प्रशासन की कार्रवाई पर उठ रहीं उंगलियां?
30 जनवरी को प्रशासन ने बनभूलपुरा इलाके में मलिक के बगीचे में कथित तौर पर अवैध रूप से बने मदरसे और मस्जिद को गिराने का नोटिस जारी किया और 3 फरवरी की रात को सीलिंग की।
मामले में सफिया मलिक की ओर से 6 फरवरी को उत्तराखंड हाई कोर्ट में प्रशासन के ध्वस्तीकरण नोटिस पर रोक लगाने को लेकर एक याचिका दायर की गई। इस याचिका पर 14 फरवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले ही कार्रवाई हो गई।
सवाल
याचिकाकर्ता के वकील ने जल्दबाजी पर उठाए सवाल
हाई कोर्ट में याचिका स्वीकार होने के बाद प्रशासन की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर याचिककर्ता के वकील एहरार बेग ने सवाल खड़े किए थे।
उन्होंने कहा कि मामले में हाई कोर्ट ने न उन्हें कोई स्टे दिया और न ही प्रशासन को ध्वस्तीकरण का कोई आदेश दिया और जब प्रशासन ने सीलिंग की कार्रवाई कर दी थी तो उन्हें थोड़ा इंतजार करना चाहिए था।
उनका आरोप है कि प्रशासन ने पूरी कार्रवाई में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
तर्क
प्रशासन ने कार्रवाई को लेकर क्या दिया तर्क?
ये विवादित मदरसा और मस्जिद नजूल भूमि पर बना था। 1937 में सरकार ने ये भूमि मोहम्मद यासीन को खेती के लिए लीज पर दी थी। इस भूमि का मालिकाना हक पीढ़ी दर पीढ़ी गुजरते हुए उत्तराधिकार सफिया मलिक को मिला।
इस जमीन की लीज का मामला भी कोर्ट में लंबित है। प्रशासन ने इस आधार पर कार्रवाई की है कि जमीन पर लीज को लेकर न कोई स्टे मिला है और न ही मामले का निस्तारित किया गया।
कार्रवाई
हिंसा के मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई?
पुलिस ने बनभूलपुरा में हुई हिंसा के मामले में 3 FIR दर्ज की है और अब तक 30 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। पुलिस का दावा है कि आरोपियों के कब्जे से 7 तमंचे और हिंसा के दौरान थाने से लूटे गए जिंदा कारतूस बरामद हुए हैं।
पुलिस टीम अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह दबिश दे रही है। इस बीच प्रशासन ने 127 हथियारों के लाइसेंस को निलंबित करते हुए सभी हथियारों को कब्जे में ले लिया है।
आरोप
पुलिस कार्रवाई पर स्थानीय नेताओं ने क्या कहा?
कांग्रेस के नेता और स्थानीय विधायक सुमित हृदयेश ने स्थानीय पुलिस पर बनभूलपुरा के लोगों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। उनका कहना कि पुलिस प्रभावित इलाके में छापेमारी के नाम पर निर्दोष लोगों को पीट रही है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बनभूलपुरा को छोड़कर पूरे हल्द्वानी से कर्फ्यू हटा दिया, ताकि यहां पुलिस चुन-चुनकर उनकी पिटाई कर सके और घर से खदेड़ सके।
दूसरी ओर पुलिस और प्रशासन इन सभी आरोपों का खंडन किया है।