जम्मू-कश्मीर में 6 महीने के लिए बढ़ाया गया राष्ट्रपति शासन, केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन और 6 महीने बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। 6 महीने की यह अवधि 3 जुलाई से शुरू होगी। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) का गठबंधन टूटने के बाद 19 दिसंबर, 2018 से जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है। इसको राज्यपाल शासन भी कहा जाता है क्योंकि राज्य में राष्ट्रपति का प्रतिनिधित्व राज्यपाल करता है।
क्या था पिछले विधानसभा चुनाव का परिणाम?
जम्मू-कश्मीर में पिछली बार दिसंबर 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। 87 सीटों वाली विधानसभा में PDP को सबसे अधिक 28 सीटें प्राप्त हुईं थीं। वहीं, भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की। नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीट प्राप्त हुईं। किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत न मिलने के बाद भाजपा और PDP ने गठबंधन में सरकार बनाने का फैसला लिया और मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने।
भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद गिरी सरकार
जनवरी 2016 में सईद की मौत के बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने राज्य की कमान संभाली। हालांकि, विचारधारा के मामले में एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत भाजपा और PDP की दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चली। जून 2018 में भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। दिसंबर 2018 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। अब इसे 6 महीने और बढ़ाने की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए दी।
क्या होता है राष्ट्रपति शासन?
राष्ट्रपति शासन में राज्य का पूरा प्रशासन राष्ट्रपति के हाथ में होता है, जो राज्यपाल के जरिए प्रशासन के कार्यों को संभालते हैं। राष्ट्रपति केंद्र सरकार के सिफारिशों पर कार्य करते हैं, इसलिए राष्ट्रपति शासन अप्रत्यक्ष तरीके से केंद्र सरकार का शासन होता है।
साल के अंत में होंगे विधानसभा चुनाव
इससे पहले सुरक्षा दृष्टि से राज्य में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव नहीं कराए गए। अब, साल के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने बीते दिनों इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि चुनाव की तारीखें अमरनाथ यात्रा खत्म होने के बाद जारी होंगी। 1 जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा 46 दिन बाद अगस्त में खत्म होगी और इसमें भारी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात किए जाते हैं।
चप्पे-चप्पे पर होती है भारी सुरक्षा
अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा बलों को लखनपुर से लेकर कश्मीर तक पूरे राष्ट्रीय राजमार्ग पर जवान तैनात करने पड़ते हैं। इसके अलावा बालटाल और पहलगाम से पवित्र गुफा तक की यात्रा के अन्य मार्गों पर भी भारी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे। यात्रा शुरू होने से कम से कम 15 दिन पहले इन सुरक्ष बालों की तैनाती शुरू होती है। यही कारण है कि चुनाव आयोग ने यात्रा के बाद चुनाव कराने की घोषणा की है।