कृषि कानून: अडाणी समूह के कहने पर सरकार ने दी थी कंपनियों द्वारा जमाखोरी की मंजूरी- रिपोर्ट
रद्द हो चुके कृषि कानूनों को लेकर अब नया खुलासा हुआ है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी समूह ने खाद्य वस्तुओं की जमाखोरी पर से प्रतिबंध हटाने की पैरवी की थी। इसके बाद केंद्र सरकार जो 3 कृषि कानून लेकर आई, उनमें से एक में जमाखोरी पर से प्रतिबंध हटा दिया गया। बता दें कि 2020 में सरकार ने कृषि कानून पेश किए थे, जिन्हें किसानों के विरोध के बाद रद्द करना पड़ा था।
रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
द रिपोर्टर्स कलेक्टिव के मुताबिक, कृषि कानून लाए जाने से पहले नीति आयोग ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से एक टास्क फोर्स का गठन किया था। इसकी बैठक में अडाणी समूह के प्रतिनिधि ने कहा था कि आवश्यक वस्तु अधिनियम इस राह में रोड़ा साबित हो रहा है। आवश्यक वस्तु अधिनियम ही कंपनियों को खाद्य पदार्थों की जमाखोरी से रोकता है। समूह की आपत्ति के बाद कंपनियों द्वारा जमाखोरी से प्रतिबंध हटा दिया गया।
टास्क फोर्स ने केवल चुनिंदा उद्योगपतियों से ली सलाह
रिपोर्ट के मुताबिक, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी, इसके 2 महीने बाद ही एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने कृषि कार्यकर्ताओं, अर्थशास्त्रियों और उद्योगपतियों से परामर्श कर 14 खंड में अपनी रिपोर्ट जारी की थी। दूसरी ओर नीति आयोग की टास्क फोर्स ने अडाणी समूह, पतंजलि, महिंद्रा ग्रुप और बिग बास्केट जैसे कारोबारी समूहों से ही चर्चा की और किसानों से कोई बात नहीं की गई।
सरकार ने नजरअंदाज की समिति की सलाह
अंतर-मंत्रालयी समिति ने भी खाद्य पदार्थों को जमा करने की सीमा को उदार बनाने की बात कही थी, लेकिन इसमें किसानों के हित में भी कई उपाय जोड़े गए थे। समिति ने कहा था कि शर्तों के आधार पर जमाखोरी की सीमा बढाई जानी चाहिए। हालांकि, कृषि कानून में केंद्र सरकार ने समिति की सिफारिशों पर ध्यान नहीं दिया और टास्क फोर्स और अडाणी समूह की सलाह मानते हुए जमाखोरी से प्रतिबंध हटा दिया।
रोक हटने से कंपनियों को होना था बड़ा फायदा
कृषि कानून में प्रावधान था कि सरकार केवल अकाल या खाद्य वस्तुओं की खुदरा कीमतें पिछले वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत बढ़ने पर ही जमाखोरी पर प्रतिबंध लगा सकती है, लेकिन निर्यातकों और 'मूल्य श्रृंखला प्रतिभागियों' को इससे छूट दी गई थी। अडाणी समूह जैसी कंपनियों को इससे भारी फायदा होना था, जो भारतीय खाद्य निगम के लिए खाद्य पदार्थों का भंडारण-परिवहन कर रहे थे। वित्त वर्ष 2021-22 में कई कंपनियों के मुनाफे में भारी वृद्धि भी हुई थी।
टास्क फोर्स की बैठक में उद्योगपतियों ने और क्या सलाह दी थीं?
रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में महिंद्रा ने किराए पर ट्रैक्टर सेवा का प्रस्ताव दिया। पतंजलि के प्रतिनिधि ने कहा कि कंपनी किसानों को उच्च उपज वाले बीज प्रदान करेगी। ITC ने बताया कि वह अपने मिशन 'सुनहरा कल' के माध्यम से कैसे ग्रामीण आजीविका को मजबूत कर रही है। अडाणी समूह ने किसानों के साथ सूचना प्रसार के लिए गुजरात में अडानी पोर्ट्स के स्वामित्व वाली जमीन पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की बात कही।