
अमेरिका में हमास से संबंध रखने पर भारतीय छात्र हिरासत में, वापस भेजा जाएगा देश
क्या है खबर?
अमेरिका में फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास से संबंध रखने के आरोप में एक भारतीय छात्र बदर खान सूरी को हिरासत में लिया गया है।
अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) के हवाले सेफॉक्स न्यूज ने बताया कि सूरी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पोस्ट डॉक्टरल शोधकर्ता है और उसे सोमवार रात वर्जीनिया में उनके घर के बाहर संघीय एजेंटों ने गिरफ्तार किया था।
सूरी पर आरोप है कि उसने सोशल मीडिया पर अमेरिका में यहूदी विरोधी भावना फैलाई और हमास से संबंध रखा।
निर्वासन
निर्वासन की चल रही है प्रक्रिया
सूरी अमेरिका में छात्र वीजा पर अध्ययन और अध्यापन कार्य कर रहे हैं। उन्होंने एक अमेरिकी नागरिक से विवाह किया है।
सूरी ने इराक और अफगानिस्तान में शांति स्थापना पर अपने डॉक्टरेट अनुसंधान को जारी रखने के लिए वीज़ा प्राप्त किया है।
DHS प्रवक्ता का कहना है कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने 15 मार्च को एक निर्णय जारी किया कि "सूरी की गतिविधियां और अमेरिका में उपस्थिति उसे आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम के तहत निर्वासन योग्य बनाती है।"
हिरासत
हिरासत केंद्र में रखा गया
CBS न्यूज के मुताबिक, सूरी को लुइसियाना के एलेक्जेंड्रिया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ICE हिरासत केंद्र में रखा गया है।
DHS के प्रवक्ता ने दावा किया है कि सूरी के एक ज्ञात या संदिग्ध आतंकवादी से घनिष्ठ संबंध हैं, जो हमास का वरिष्ठ सलाहकार है।
सूरी की हिरासत को चुनौती देने के लिए उनकी ओर से 18 मार्च को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई है। अभी कोर्ट की तारीख नहीं मिली है।
पहचान
सूरी और उनकी पत्नी के बारे में कई जानकारी आई सामने
सूरी जॉर्जटाउन के अलवलीद बिन तलाल सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिश्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं, जो यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस का हिस्सा है।
सूरी की पत्नी मफेज़ सालेह अमेरिकी नागरिक हैं। सालेह गाजा से हैं और उन्होंने अल जजीरा और फिलिस्तीनी मीडिया आउटलेट्स के लिए लेख लिखा है।
सालेह गाजा में विदेश मंत्रालय के साथ काम कर चुकी हैं।
सूरी ने भारत के एक विश्वविद्यालय से शांति एवं संघर्ष अध्ययन में PhD की है।
जानकारी
आव्रजन कानून का हुआ प्रयोग
सूरी मामले में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने आव्रजन कानून की एक दुर्लभ प्रयुक्त धारा का प्रयोग किया है, जो विदेश मंत्री को विदेश नीति के लिए खतरा समझे जाने वाले गैर-नागरिकों को निर्वासित करने का अधिकार प्रदान करती है। इसका पहले भी उपयोग हुआ है।