कोरोना वायरस: भारत पहुंची रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V की पहली खेप, वैक्सीनेशन में आएगी तेजी
पूरा देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है। इससे बचने के लिए सरकार ने वैक्सीनेशन अभियान को तेज करते हुए शनिवार से तीसर चरण शुरू कर दिया। इसमें में 18 साल से ऊपर वालों को वैक्सीन लगाई जा रही है। हालांकि, वैक्सीनों की कमी के कारण राज्यों ने तीसरा चरण शुरू नहीं हुआ है। इसी बीच बड़ी खबर आई है कि रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V की 1.50 लाख खुराकों की पहले खेप शनिवार को भारत पहुंच गई है।
DCGI ने 13 अप्रैल को दी थी स्पूतनिक-V को आपात इस्तेमाल की मंजूरी
बता दें कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (SEC) ने गत 12 अप्रैल को 'स्पूतनिक-V' को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने की सिफारिश की थी। इसके अगले ही दिन यानी 13 अप्रैल को DCGI ने सिफारिश को मानते हुए वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी। भारत स्पूतनिक-V को हरी झंडी दिखाने वाला दुनिया का 60वां देश है। दुनिया में सबसे ज्यादा मंजूरी पाने वाली यह दूसरी वैक्सीन है।
ट्रायल में 91.6 प्रतिशत प्रभावी पाई गई थी स्पूतनिक
स्पूतनिक-V वैक्सीन सामान्य जुकाम करने वाले मानव एडिनोवायरस में जेनेटिक बदलाव करके बनाई गई है। इसे रूसी सेना ने मॉस्को के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडिमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के साथ मिलकर विकसित किया है। कई देशों में हुए तीसरे चरण के ट्रायल में इस वैक्सीन को 91.6 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था और यह कोरोना की सबसे अधिक प्रभावी वैक्सीनों में शुमार है। इस ट्रायल के नतीजे प्रख्यात विज्ञान पत्रिका 'द लांसेट' में प्रकाशित भी हो चुके हैं।
देश में स्पूतनिक का ट्रायल भी कर रही है डॉ रेड्डीज
हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज देश में स्पूतनिक का तीसरे चरण का ट्रायल भी कर रही है। 18 से 99 साल तक के 1,600 लोगों पर ये ट्रायल किया जा रहा है। SEC ने कंपनी को मंजूरी से पहले ये ट्रायल करने को कहा था।
भारत पहुंची स्पूतनिक-V की पहली खेप
न्यूज 18 के अनुसार गामालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा विकसित स्पूतनिक-V की 1.50 लाख खुराकों की पहली खेप शनिवार को भारत पहुंच गई है। मॉस्को और नई दिल्ली स्थित राजनयिकों के अनुसार वैक्सीन की पहली खेप को विशेष उड़ान से शुक्रवार देर रात रवाना किया गया था। ऐसे में शनिवार दोपहर यह हैदराबाद हवाई अड्डे पर पहुंच गई। यहां से इन खुराकों को डॉ रेड्डी की लेबोरेटरीज में भेजा जाएगा।
यहां देखें वैक्सीन के भारत पहुंचने का वीडियो
इसी महीने भारत पहुंचेगी वैक्सीन की 30 लाख और खुराकें
बता दें कंपनी की ओर से वैक्सीन की 30 लाख और खुराकों को इसी महीने भारत भेजा जाएगा। इसके लिए मास्को में जोर-शोर से उत्पादन चल रहा है। वैक्सीनों को जल्द भारत मंगवाने के लिए डॉ रेड्डी की लेबोरेटरीज लगातार कंपनी के संपर्क में है।
भारत के वैक्सीनेशन अभियान में आएगी तेजी
बता दें कि भारत में चल रहे वैक्सीनेशन अभियान में अभी तक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में वैक्सीन की कमी के कारण अभियान की गति धीमी हो गई थी। इसी बीच अब स्पूतनिक-V के भारत पहुंचने से वैक्सीनेशन अभियान के तीसरे चरण को गति मिल सकेगी। वैक्सीन की कमी के कारण किसी भी राज्य में वैक्सीनेशन नहीं रोकना पड़ेगा।
भारत में हर साल बनेंगी 85 करोड़ खुराकें- दिमित्रीव
इससे पहले रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) CEO किरिल दिमित्रीव ने कहा था कि भारत वैक्सीन उत्पादन का अड़्डा है और स्पूतनिक के उत्पादन के लिए हमारा रणनीतिक साझेदार है। RDIF ने भारत की कई बड़ी फार्मास्युटिकल्स कंपनियों के साथ उत्पादन का समझौता किया है जिससे भारत और विश्व दोनों जगह वैक्सीन की सप्लाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत में हर साल 85 करोड़ से अधिक खुराकें बनाई जाएंगी जो दुनियाभर में 42.5 करोड़ लोगों के लिए पर्याप्त होंगी।
स्पूतनिक को दूरदराज इलाकों तक ले जाना आसान
जानकारी के अनुसार, स्पूतनिक वैक्सीन को दो रूपों में बनाया गया है। पहला द्रव रूप है जिसे माइनस 18 डिग्री सेल्सियस पर रखना जरूरी होगा। वहीं दूसरा लाइयोफिलाइज्ड (जमा हुआ) रूप है और इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जा सकेगा। इससे इसे दूरदराज इलाकों में ले जाने में आसानी होगी। दूरदराज के इलाकों में डिलीवरी की चुनौती को देखते हुए ही विशेष तौर पर लाइयोफिलाइज्ड रूप बनाया गया है।