आजादी के 73 सालों में देश में क्या-क्या बदला?
पूरे देश में बड़े उल्लास के साथ 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। कार्यालय, प्रतिष्ठान और घरों की छतों पर तिरंगे को लहराते हुए देखा जा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजादी के बाद के 73 सालों में देश ने सफलता के कई आयाम स्थापित करते हुए दुनिया के सामने खुद को बड़ी ताकत के रूप में पेश किया है। यहां हम आपको बताएंगे कि देश में 1947 के बाद से क्या-क्या बदला है।
73 साल में कितनी बढ़ी देश की आबादी?
1947 में जब आजादी मिली थी तब भारत की जनसंख्या महज लगभग 34 करोड़ थी। साल 1951 में पहली बार जनगणना हुई तो जनसंख्या 36 करोड़ से कुछ अधिक हो गई। वर्त्तमान में भारत की जनसंख्या लगभग 137 करोड़ है।
274 से बढ़कर 1.35 लाख पर पहुंची प्रति व्यक्ति आय
TOI के अनुसार अनुसार 1947 में जब भारत को आजादी मिली थी तो उस समय प्रत्येक व्यक्ति की सालाना औसत आय 274 रुपये हुआ करती थी, लेकिन उसके बाद देश में बढ़े शिक्षा के प्रसार और औद्योगिक क्रांति की बदौलत वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति की सालाना आय 1.35 लाख रुपये पर पहुंच गई है। इसी तरह 1947 में देश का जनसंख्या घनत्व 114 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था जो अब बढ़कर 410 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर पर पहुंच गया है।
महिलाओं के औसत बच्चों की संख्या और इंसान की औसत आयु
देश की आजादी के समय प्रत्येक विवाहित महिला के औसतन 5.9 बच्चे हुआ करते थे, लेकिन सरकार के जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों की बदौलत वर्तमान में यह आंकड़ा 2.2 बच्चे प्रति महिला पर आ गया है। 1947 में चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण इंसान की औसत आयु 37 वर्ष थी, लेकिन उसके बाद से चिकित्सा क्षेत्र में हुई तरक्की के चलते लोगों का जीवनकाल लगभग दोगुना हो गया और लोगों की औसत आयु 69 साल पर पहुंच गई है।
सोने और तेल की कीमत
1947 में एक तोला (10 ग्राम) सोना मात्र 89 रुपये का था, जिसकी आज की कीमत लगभग 54,000 रुपये है। वहीं पेट्रोल की बात करें तो आजादी के समय में एक लीटर पेट्रोल 27 पैसे में आ जाता था जो आज लगभग 80 रुपये है।
लगातार बढ़ रही शहरों की जनसंख्या
साल 1947 में शहरी जनसंख्या के मामले में 46 लाख की आबादी के साथ कोलकाता सबसे बड़ा शहर था, लेकिन साल 2020 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली 3.03 करोड़ की आबादी के साथ सबसे बड़ा शहर बन गया। इसी तरह आजादी के समय देश की शहरी आबादी महज 17 प्रतिशत थी, जो वर्तमान में शहरीकरण के प्रसार के कारण दोगुना से अधिक बढ़ते हुए 35 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
कितनी मिटी गरीबी?
दैनिक भास्कर के अनुसार, 1947 में देश में लगभग 80% लोग गरीबी रेखा से नीचे थे। 1956-57 में यह आंकड़ा 65% तक पहुंच गया। गरीबी रेखा के ताजा आंकड़े 2011-12 तक के ही मौजूद हैं। जिसमें 22% आबादी गरीबी रेखा से नीचे बताई गई है।
कार मालिकों की संख्या और साक्षरता दर बढ़ी
आजादी के समय देश में प्रत्येक एक लाख आबादी पर महज 41 लोगों के पास खुद की कार थी, लेकिन बढ़ती कमाई और सुविधाओं के चलते वर्तमान में यह आंकड़ा 2,234 की बढ़ोतरी के साथ 2,275 पर पहुंच गया है। वहीं आजादी के बाद देश की बड़ी सफलता शिक्षा के प्रसार को लेकर रही है। 1947 में देश की साक्षरता दर महज 18% थी जो वर्तमान में बढ़कर 78% पर पहुंच गई है।
बिजली से रोशन हुए भारत के गांव
आजादी के समय देश के महज 3,061 गांव ही बिजली से रोशन थे और वर्तमान में यह संख्या बढ़कर लगभग छह लाख पर पहुंच गई है। ऐसे में देश ने अपनी तरक्की के साथ लोगों को अंधेरे को भी दूर किया है। इसी तरह आजादी के समय देश में प्रत्येक लाख की आबादी पर 16 किलोवाट बिजली की खपत होती थी, जो वर्तमान में औद्योगिक इकाइयों और सुविधाओं के विस्तार के कारण 1,181 किलोवाट की खपत पर पहुंच गई है।
भारतीय रूपया बनाम अमरीकी डॉलर
लोगों को लगता है 1947 में एक रूपया एक डॉलर के बराबर था, लेकिन सरकारी आंकड़ों में ऐसा नहीं लिखा। फॉरेन एक्सचेंज सर्विस कंपनी थॉमस कुक के अनुसार 1947 में एक डॉलर की वैल्यू तीन रुपये 30 पैसे थी जो आज लगभग 75 रुपये है।
हैदराबाद को पाकिस्तान से हटाकर भारत में मिलाया
आजादी के समय भारत की दो दिशा पश्चिम और पूर्व में पाकिस्तान था। बंटवारे के समय हैदराबाद रियासत को भी पाकिस्तान में मिलाया गया था। यह भारत के लिए बड़ा झटका था, लेकिन आजादी के बाद 1948 में अपने कूटनीतिक फैसलों से भारत ने हैदराबाद को पाकिस्तान से अलग कर भारत में शामिल कर लिया। वर्तमान में पाकिस्तान केवल पश्चिम तक ही सीमित रह गया है। पूर्वी पाकिस्तान अब बांग्लादेश बन गया है।