भारत को एक और कोरोना वैक्सीन मिलने का रास्ता साफ, स्पूतनिक-V को मंजूरी देने की सिफारिश
क्या है खबर?
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (SEC) ने कोरोना वायरस की रूसी वैक्सीन 'स्पूतनिक-V' को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने की सिफारिश की है।
इसी के साथ देश में इस वैक्सीन के इस्तेमाल का रास्ता लगभग साफ हो गया है और DGCI जल्द ही इसे मंजूरी दे सकते हैं।
अगर ऐसा होता है तो यह सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' के बाद मंजूरी पाने वाली तीसरी कोरोना वैक्सीन होगी।
प्रक्रिया
पिछली बैठक में SEC ने डॉ रेड़्डीज लैबोरेट्रीज से मांगा था अतिरिक्त डाटा
हैदराबाद की डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज भारत के लिए स्पूतनिक वैक्सीन का निर्माण करेगी और उसने 19 फरवरी को इसके आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन किया था।
1 अप्रैल को हुई अपनी पिछली बैठक में SEC ने कंपनी से इस बात की जानकारी मांगी थी कि वैक्सीन शरीर के इम्युन सिस्टम को कोरोना वायरस के खिलाफ कैसे सक्रिय करती है।
इसके अलावा उससे ट्रायल के दौरान सामने आए सभी गंभीर साइड इफेक्ट्स की जानकारी भी मांगी गई थी।
जानकारी
देश में स्पूतनिक का ट्रायल भी कर रही है डॉ रेड्डीज
डॉ रेड्डीज देश में स्पूतनिक का तीसरे चरण का ट्रायल भी कर रही है। 18 से 99 साल तक के 1,600 लोगों पर ये ट्रायल किया जा रहा है। SEC ने कंपनी को मंजूरी से पहले ये ट्रायल करने को कहा था।
तकनीक और ट्रायल
ट्रायल में 91.6 प्रतिशत प्रभावी पाई गई थी स्पूतनिक
स्पूतनिक-V वैक्सीन सामान्य जुकाम करने वाले मानव एडिनोवायरस में जेनेटिक बदलाव करके बनाई गई है। इसे रूसी सेना ने मॉस्को के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडिमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के साथ मिलकर विकसित किया है।
कई देशों में हुए तीसरे चरण के ट्रायल में इस वैक्सीन को 91.6 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था और यह कोरोना की सबसे अधिक प्रभावी वैक्सीनों में शुमार है।
इस ट्रायल के नतीजे प्रख्यात विज्ञान पत्रिका 'द लांसेट' में प्रकाशित भी हो चुके हैं।
फायदा
स्पूतनिक को दूरदराज इलाकों तक ले जाना होगा आसान
जानकारी के अनुसार, स्पूतनिक वैक्सीन को दो रूपों में बनाया गया है। पहला द्रव रूप है जिसे माइनस 18 डिग्री सेल्सियस पर रखना जरूरी होगा।
वहीं दूसरा लाइयोफिलाइज्ड (जमा हुआ) रूप है और इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जा सकेगा। इससे इसे दूरदराज इलाकों में ले जाने में आसानी होगी।
दूरदराज के इलाकों में डिलीवरी की चुनौती को देखते हुए ही विशेष तौर पर लाइयोफिलाइज्ड रूप बनाया गया है।
विवाद
अगस्त में बिना ट्रायल पूरे किए ही लॉन्च कर दी गई थी स्पूतनिक
बता दें कि स्पूतनिक को अगस्त में बिना ट्रायल पूरे किए ही लॉन्च कर दिया गया था और इसे लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने सवाल खड़े किए थे।
दरअसल, आमतौर पर किसी भी वैक्सीन को तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद ही लॉन्च किया जाता है जिसमें हजारों लोगों को इसकी खुराक देकर देखा जाता है कि ये कितनी प्रभावी और सुरक्षित है। वैक्सीन के सुरक्षित न होने पर ये लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।