केरल: बकरीद पर पाबंदियों में छूट देने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने आज बकरीद पर कोविड संबंधी पाबंदियों में तीन दिन की छूट देने के केरल सरकार के फैसले पर सख्त आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि इस फैसले की जरूरत नहीं थी और ये डरावना है कि ऐसे हालातों के बावजूद पाबंदियों में छूट दी गई। उसने कहा कि नागरिकों के जीने के अधिकार के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता। हालांकि कोर्ट ने इन रियायतों को रद्द करने से इनकार कर दिया।
सरकार का दबाव के आगे झुकना चिंताजनक- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट बेंच ने आज मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, "(सरकार का) दबाव की रणनीति के आगे झुकना चिंताजनक स्थिति है। किसी भी तरह का दबाव सबसे अहम अधिकार 'जीने के अधिकार' का उल्लंघन नहीं कर सकता। अगर इस छूट के कारण कोई भी अप्रिय घटना होती है तो जनता हमारे संज्ञान में ला सकती है और फिर स्थिति के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।"
केरल सरकार को अनुच्छेद 21 का पालन करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार से जीने का अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 21 और कांवड़ यात्रा पर उसके आदेश का पालन करने को कहा। अपने इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने जीने के मौलिक अधिकार का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को कांवड़ यात्रा रद्द करने का निर्देश दिया था। हालांकि कोर्ट ने केरल द्वारा दी गई रियायतों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया क्योंकि आज पाबंदियों को तीसरा दिन है और नुकसान हो चुका है।
बकरीद पर छूट देने के केरल सरकार के फैसले पर उठे कई सवाल
बता दें कि बड़ी संख्या में कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बावजूद केरल सरकार ने बकरीद के मौके पर तीन दिन के लिए पाबंदियों में छूट दी थी। इस छूट पर कई सवाल उठे हैं और भारतीय चिकित्सा संघ ने भी सरकार को इसे लेकर चेतावनी जारी की थी। पीके नांबियार नामक एक शख्स ने मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और कोर्ट इसी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सरकार ने कोर्ट में किया अपने फैसले का बचाव
सुनवाई के दौरान हलफनामा दाखिल करते हुए केरल सरकार ने अपने फैसले का बचाव किया था और कहा था कि ये रियायतें 15 जून से ही जारी हैं और इनमें कुछ नया नहीं है। सरकार ने आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे व्यापारियों का भी हवाला दिया था जो बकरीद के मौके पर बिक्री बढ़ने की उम्मीद जता रहे थे। सरकार ने यह भी कहा था कि लॉकडाउन को अनिश्चितकाल तक नहीं बढ़ाया जा सकता और लोग परेशान हैं।
केरल में सामने आ रहे हैं सबसे अधिक नए मामले
केरल सरकार ने पाबंदियों में ये ढील ऐसे समय पर दी है जब पिछले एक महीने से केरल में देश में सबसे अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं। दो दिन पहले तो यहां 16,000 से अधिक नए मामले सामने आए थे और राष्ट्रीय दैनिक मामलों में इसकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक हो गई है। राज्य की टेस्ट पॉजिटिविटी रेट भी 11 प्रतिशत से अधिक हो गई है। यहां 31,70,868 संक्रमितों में से 15,408 की मौत हो चुकी है।