सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पीरियड्स लीव संबंधी याचिका, कहा- महिलाओं को नौकरी देने से कतराएंगे
सुप्रीम कोर्ट ने आज शैक्षणिक संस्थानों और कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए पीरियड्स लीव की मांग को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका (PIL) को खारिज करते हुए इसकी सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर नियोक्ताओं को पीरियड्स लीव देने के लिए मजबूर किया गया तो इससे वे काम करने के लिए महिलाओं की भर्ती करने से कतरा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि यह मामला केंद्र सरकार की नीति के तहत आता है और विचार करने के लिए इसे महिला और बाल विकास मंत्रालय के पास भेजा जा सकता है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने कहा था कि विभिन्न राज्यों में महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
याचिका में क्या कहा गया था?
याचिका में कहा गया था कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं और छात्राओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, वहीं पुरुषों को महिलाओं की तरह पीरियड्स में होने वाले दर्द का सामना नहीं करना पड़ता और महिलाओं को पुरुष के समान समझना संवैधानिक भूल है। याचिका में इसी आधार पर शैक्षणिक संस्थानों और कार्यस्थलों में पीरियड्स लीव दिए जाने के संबंध में आदेश पारित करने की मांग की गई थी।
कई देशों में मिल रही हैं पीरियड्स लीव- याचिका
याचिका में कहा गया था कि यूनाइटेड किंगडम (UK), चीन, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और स्पेन जैसे कई देशों में पहले से ही पीरियड्स लीव दी जा रही हैं और इसी तर्ज पर महिलाओं को भी यह लीव मिलनीं चाहिए। याचिकाकर्ता ने मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 के अनुपालन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की थी। इसी अधिनियम के तहत महिलाओं को मां बनने पर मैटरनिटी लीव देने का प्रावधान है।
भारत में कहां मिलती है पीरियड्स लीव?
याचिका में कहा गया कि बिहार देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां वर्ष 1992 से सरकारी महिला कर्मचारियों को दो दिन की पीरियड्स लीव मिल रही है। बता दें कि कुछ भारतीय स्टार्टअप कंपनियां भी अपनी महिला कर्मचारियों को पीरियड्स लीव देती हैं। इनमें जोमैटो, बायजू और स्विगी जैसी कंपनियां शामिल हैं। हालांकि, भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो महिलाओं को पीरियड्स लीव प्रदान करना अनिवार्य करता हो।