आय से अधिक संपत्ति: CBI की मुलायम और अखिलेश को क्लीन चिट, जानें पूरा मामला
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मंगलवार को मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को बड़ी राहत देते हुए उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में क्लीन चिट दे दी। CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि उन्हें दोनों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कोई भी सबूत नहीं मिला। इससे पहले मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने CBI को अखिलेश और मुलायम के खिलाफ जांच में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा था।
2013 में बंद हो गई थी जांच
अपने हलफनामे में CBI ने कहा कि उसे अपनी जांच में आरोपों की पुष्टि करने के लिए कोई भी सबूत नहीं मिला। उसने बताया कि 2013 में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को रिपोर्ट देने के बाद मामले की जांच को बंद कर दिया गया था।
2005 में हुई थी मामले की शुरुआत
साल 2005 में वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए मुलायम, अखिलेश, डिंपल यादव और मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक पर आय से अधिक संपत्ति होने का आरोप लगाया था। याचिका में कहा गया था कि परिवार के पास लगभग 100 करोड़ रुपये आय से अधिक संपत्ति है, जिसे 1999 से 2005 के बीच में जमा किया गया। चतुर्वेदी ने कोर्ट से मामले में CBI जांच का आदेश देने का अनुरोध किया था।
CBI को उसके सामने स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 1 मार्च, 2007 को अपना फैसला सुनाते हुए CBI को आरोपों की जांच करने आदेश दिया। 2012 में कोर्ट ने जांच के आदेश के खिलाफ मुलायम और अखिलेश की पुनर्विचार याचिका तो खारिज कर दी, लेकिन डिंपल के खिलाफ जांच बंद करने का आदेश दिया, क्योंकि उस समय उनके पास कोई भी सार्वजनिक पद नहीं था। कोर्ट ने CBI को सरकार की बजाय उसके सामने स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का आदेश भी दिया।
चतुर्वेदी ने फिर से दायर की अर्जी
मार्च में चतुर्वेदी ने मुलायम और अखिलेश के खिलाफ चल रही जांच की स्थिति जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट में फिर से याचिका दायर की, जिस पर कोर्ट ने 25 मार्च को CBI को दो हफ्ते के अंदर रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया। इसी के जवाब में CBI ने अपनी रिपोर्ट जमा की है और कोर्ट को बताया है कि मामले में अगस्त 2013 के बाद अखिलेश और मुलायम के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई है।
मुलायम ने बताया राजनीतिक साजिश
वहीं, मुलायम ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए चतुर्वेदी को कांग्रेस कार्यकर्ता बताया और कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले उनकी और सपा की छवि खराब करने के लिए चतुर्वेदी ने दोबारा अर्जी दायर की है।