रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने पर विचार कर रही सरकार, जानिए पूरा मामला
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को केंद्र सरकार ने कहा कि इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श जारी है। कोर्ट ने सरकार से फरवरी के पहले सप्ताह तक मामले पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
हालांकि, याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि सरकार इस मुद्दे को सालों से टाल रही है।
आइये इस पूरे मामले को विस्तार से जानते हैं।
रामसेतु
क्या है रामसेतु?
मान्यता है कि भगवान राम ने अपनी वानर सेना की मदद से रामेश्वरम (भतार) से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक रामसेतु का निर्माण किया था। हालांकि, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।
सेतु 48 किलोमीटर लंबा और चूना पत्थर से बना है। यहां समुद्र काफी उबड़-खाबड़ है, जिसके कारण बड़े जहाज यहां से नहीं गुजरते हैं।
2005 में इस पर बड़ा विवाद हुआ था। तब 'सेतुसमुद्रम' परियोजना लाई गई थी, जिसके तहत इसका एक हिस्सा टूटना था।
मुद्दा
सेतु समुद्रम परियोजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे स्वामी
सेतु समुद्रम परियोजना के खिलाफ स्वामी ने 2007 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने रामसेतु को हिंदुओं की आस्था का विषय बताया, जिसके बाद परियोजना को रोक दिया गया।
स्वामी ने कहा कि वह मुकदमे का पहला दौर जीत चुके हैं, जिसमें केंद्र ने रामसेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया था और 2019 में संबंधित केंद्रीय मंत्री ने उनकी मांग पर विचार करने के लिए बैठक भी बुलाई थी, लेकिन ये बेनतीजा रही।
मामला
मौजूदा मामला क्या है?
दरअसल, स्वामी ने 2018 में रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग करने वाली याचिका दाखिल की थी और फिर 2020 में भी इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था।
स्वामी ने कोर्ट में कहा कि सरकार को नोटिस भी जारी किया गया था, लेकिन अभी तक याचिका का जवाब दाखिल नहीं किया है।
बयान
रामसेतु पर रुख स्पष्ट करे सरकार- स्वामी
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्वामी चाहें तो अपने रिकॉर्ड्स सरकार को दे सकते हैं।
इस पर स्वामी ने कहा कि सरकार को बस इतना बताना है कि वो रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक घोषित करना चाहती है या नहीं।
सरकार पिछले महीने संसद में कह चुकी है कि है रामसेतु के अस्तित्व का कोई ठोस सबूत नहीं है।