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गणतंत्र दिवस: सुप्रीम कोर्ट का किसानों की ट्रैक्टर परेड के मामले में दखल देने से इनकार

गणतंत्र दिवस: सुप्रीम कोर्ट का किसानों की ट्रैक्टर परेड के मामले में दखल देने से इनकार

Jan 18, 2021
12:20 pm

क्या है खबर?

सुप्रीम कोर्ट ने गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है। आज इस परेड पर रोक लगाने की केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की मांग पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह पिछली सुनवाई में कह चुका है कि दिल्ली में किसे प्रवेश देना है और किसे नहीं, इस पर दिल्ली पुलिस को फैसला लेना है और वह इसमें दखल नहीं देगी।

परेड

आउटर रिंग रोड पर निकाली जानी है ट्रैक्टर परेड

दरअसल, कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड बुलाई है। रविवार को संगठनों ने बताया कि ये परेड दिल्ली को घेरने वाले आउटर रिंग रोड पर निकाली जाएगी और 50 किलोमीटर लंबी इस परेड में 1,000 ट्रैक्टर हिस्सा लेंगे। इन ट्रैक्टरों पर तिरंगे झंडे लगाए जाएंगे। उन्होंने भरोसा दिया था कि इस ट्रैक्टर परेड के जरिए राजपथ पर होनी वाली गणतंत्र दिवस परेड में व्यवधान नहीं पहुंचाया जाएगा।

सरकार का पक्ष

सरकार की दलील- राष्ट्रीय शर्म का कारण बन सकती है परेड

हालांकि केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस इस ट्रैक्टर परेड का विरोध कर रही हैं और सुप्रीम कोर्ट में इसे रोकने के लिए याचिका दायर की है। पिछले सुनवाई में सरकार ने कहा था कि इसे 'सिख फॉर जस्टिस' जैसे खालिस्तानी संगठनों का समर्थन हासिल है और ये हिंसा का कारण बन सकती है। सरकार ने कहा था कि गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ये ट्रैक्टर परेड "राष्ट्रीय शर्म" का कारण बन सकती है।

बातचीत

असफल रही है किसानों और सरकार के बीच नौ दौर की बातचीत

किसानों की तरफ से ये ट्रैक्टर परेड निकालने का ऐलान ऐसे समय पर किया गया है, जब उनके और सरकार के बीच नौ दौर की बैठक असफल रह चुकी है और इनमें कृषि कानूनों पर बने गतिरोध का कोई समाधान नहीं निकला है। किसानों का कहना है कि सरकार इन तीनों कानूनों को वापस ले और तभी वह आंदोलन को खत्म करेंगे। वहीं सरकार का कहना है कि वह कानून वापस नहीं लेगी और केवल संशोधन कर सकती है।

कोर्ट की कार्रवाई

कानूनों के अमल पर रोक लगा चुकी है सुप्रीम कोर्ट

कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध का ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है जिसने 12 जनवरी को जारी किए गए अपने फैसले में अगले आदेश तक कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने मामले में जमीनी स्थिति जानने के लिए एक चार सदस्यीय समिति बनाने का आदेश भी दिया था और सभी पक्ष इसके सामने जाकर अपनी दलीलें रखेंगे। हालांकि किसान इस समिति के सामने पेश होने से इनकार कर चुके हैं।

मुद्दा

क्या है कृषि कानूनों का पूरा मुद्दा?

दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।