सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन आए ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स और OTT प्लेटफॉर्म्स, अधिसूचना जारी
केंद्र सरकार ने ऑनलाइन न्यूज पोर्टल और नेटफ्लिक्स जैसे कंटेट प्रोवाइडर्स को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन लाने का फैसला किया है। इसके लिए अधिसूचना जारी की जा चुकी है। अभी तक देश में डिजिटल कंटेट से जुड़े कोई नियम नहीं है और न ही कोई स्वायत्त संस्था इनकी निगरानी करती है। इससे पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि ऑनलाइन माध्यमों का नियमन टीवी से ज्यादा जरूरी है क्योंकि इनका असर ज्यादा है।
फिलहाल मीडिया के लिए हैं ये संस्थाएं
फिलहाल प्रिंट मीडिया के लिए देश में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI), टीवी न्यूज चैनलों के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन (NBA), विज्ञापन के लिए एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया और फिल्मों के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) है। इनमें से किसी भी माध्यम की शिकायत के लिए इनसे जुड़ी संस्थाओं में अपील की जा सकती है, लेकिन ऑनलाइन न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन कंटेट प्रोवाइडर्स के लिए अभी तक ऐसी कोई संस्था नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा था जवाब
बीते महीने सुप्रीम कोर्ट ने ऑवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स के लिए एक स्वायत्त संस्था बनाने के मुद्दे पर केंद्र से जवाब मांगा था। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था। बता दें, नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार और अमेजन प्राइम आदि OTT प्लेटफॉर्म्स में आते हैं। ये ऑपरेटर के नेटवर्क पर चलते हैं इन्हें इंटरनेट की मदद से एक्सेस किया जा सकता है।
पहले भी नियमन की वकालत कर चुकी है सरकार
सितंबर में केंद्र ने एक दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान इन प्लेटफॉर्म पर नियमन की वकालत की थी। तब सरकार ने कहा था कि डिजिटल मीडिया की पहुंच बहुत तेज है और फेसबुक और व्हाट्सऐप आदि के कारण यह किसी भी चीज को वायरल कर सकता है। डिजिटल मीडिया के गंभीर प्रभाव है इसलिए कोर्ट को पहले इस पर ध्यान देना चाहिए। सरकार ने कहा था कि सोशल मीडिया का प्रभाव और पहुंच आबादी के बड़े हिस्से तक है।
सूचना और प्रसारण मंत्री के इस पर क्या विचार हैं?
बीते साल केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी OTT प्लेटफॉर्म्स पर स्व-नियमन की बात कही थी। जावड़ेकर ने कहा था कि सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी, जिससे मीडिया की स्वतंत्रता पर कोई असर पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था OTT प्लेटफॉर्म्स पर भी वैसा ही नियमन होना चाहिए, जैसा प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और फिल्मों पर है। अब सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।