
कृषि कानून: रिलायंस इंडस्ट्रीज की सफाई- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में आने की कोई योजना नहीं
क्या है खबर?
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों से कंपनी को फायदे की "अफवाहों" के बीच रिलायंस इंड्रस्ट्रीज ने बयान जारी कर कॉन्ट्रैक्ट या कॉर्पोरेट फार्मिंग में आने की संभावनाओं से इनकार किया है।
कंपनी ने कहा है कि उसने या उसकी किसी सहायक कंपनी ने कभी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से कॉर्पोरेट फार्मिंग के लिए कृषि जमीन नहीं खरीदी है और भविष्य में भी उसकी ऐसा करने की कोई योजना नहीं है।
बयान
रिलायंस बोली- सप्लायर्स से MSP का पालन करने को कहते हैं
कंपनी ने अपने बयान में ये भी कहा है कि वह किसानों से सीधे अनाज नहीं खरीदती है और उसके पास सभी उत्पाद सप्लायर्स के जरिए आते हैं।
बयान में कहा गया है, "रिलायंस और उसके सहयोगी मेहनत और निष्ठा से पैदा की गई उपज की अच्छी और लाभदायक कीमत मिलने की भारतीय किसानों की आकांक्षा का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। बल्कि हम अपने सप्लायर्स से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) व्यवस्था का कड़ा पालन करने को कहते हैं।"
सफाई
किसानों का फायदा उठाने के लिए कभी लंबी अवधि का सौदा नहीं किया- रिलायंस
रिलायंस ने अपनी सफाई में ये भी कहा है कि उसने कभी भी किसानों का फायदा उठाने के लिए लंबी अवधि में कम कीमत पर खरीद को लेकर कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं किया और ना ही कभी ये चाहा है कि उसके सप्लायर्स किसानों से कम कीमत पर अनाज खरीदें।
किसानों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उसने कहा है कि रिलायंस का भारतीय किसानों के प्रति बहुत आभार और सर्वोच्च सम्मान है जो 1.3 अरब भारतीयों के अन्नदाता हैं।
याचिका
टॉवर तोड़े जाने के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा जियो
रिलायंस ने अपने बयान में पंजाब और हरियाणा में जियो के टॉवर तोड़े जाने के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की जानकारी भी दी है। उसने रिलायंस जियो इंफोकॉम के जरिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में ये याचिका दायर की है और उपद्रवियों द्वारा इस तोड़फोड़ को रोकने के लिए आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
कंपनी ने कहा है कि इन उपद्रवियों को किसान आंदोलन की आड़ में उसके कारोबारी प्रतिद्वंदियों द्वारा उकसाया जा रहा है।
पृष्ठभूमि
पंजाब में जियो के 1,500 टॉवर्स को पहुंचाया जा चुका है क्षतिग्रस्त
बता दें कि किसान आंदोलन के बीच दिसंबर में अकेले पंजाब में जियो के 1,500 टॉवर्स को क्षतिग्रस्त किया गया है और ये काम नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा में भी कई टॉवर्स को नुकसान पहुंचाया गया है।
दरअसल, कुछ किसानों का मानना है कि कृषि कानूनों से मुकेश अंबानी की रिलायंस को सबसे ज्यादा फायदा होगा और इसलिए कानूनों के खिलाफ गुस्सा जाहिर करने के लिए उन्होंने टॉवर्स को नुकसान पहुंचाया है।
मुद्दा
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मुद्दा?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
बातचीत
किसानों और सरकार के बीच आज सातवें दौर की बातचीत
इस गतिरोध को तोड़ने के लिए सरकार और किसानों के बीच छह दौर की बैठक भी हो चुकी है और अंतिम बैठक में दो मुद्दों पर सहमति बनी थी। हालांकि सरकार आंदोलन के केंद्र तीन कृषि कानूनों को वापस लेने को राजी नहीं हुई है और इस पर समिति बनाने की बात कही है।
आज किसानों और सरकार के बीच अगले दौर की बातचीत होनी है और इसमें समाधान न निकलने पर किसान आंदोलन को तेज करेंगे।