सरकार और किसानों के बीच फिर बेनतीजा रही वार्ता, अब 8 जनवरी को होगी अगली बैठक
क्या है खबर?
कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच सोमवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई सातवें दौर की वार्ता बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई।
वार्ता के शुरू होने से पहले विवाद का हल निकलने की उम्मीद लगाई जा रही थी, लेकिन किसानों के कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़ने से बात नहीं बन पाई। अब 8 जनवरी को फिर से वार्ता होगी।
विरोध
क्या है किसानों के विरोध की वजह?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
सहमति
पिछली बैठक में बनी थी दो मुद्दों पर सहमति
किसानों और सरकार के बीच अब तक सात दौर की वार्ता हो चुकी है। इनमें से छह दौर की वार्ता में कोई हल नहीं निकला।
हालांकि, गत बुधवार को हुई छठे दौर की वार्ता में सरकार और किसानों के बीच पर्यावरण से संबंधित कानून और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट पर सहमति बन गई थी।
इसके बाद सोमवार को दो अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होनी थी, लेकिन किसान बैठक की शुरुआत में कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग पर अड़ गए।
शुरुआत
बैठक की शुरुआत में दी आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि
दोपहर करीब दो बजे शुरु हुई बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और सोम प्रकाश सहित 41 किसान संघों के प्रतिनिधियों ने आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान सभी ने खड़े होकर दो मिनट का मौन रखा। इसके बाद किसानों की मांगों पर वार्ता शुरू हुई।
सरकार ने सभी मुद्दों पर एक-एक कर वार्ता करने की बात कही, लेकिन किसानों ने कानूनों को निरस्त करने की मांग रख दी।
स्पष्ट
निरस्त नहीं किए जाएंगे कृषि कानून- सरकार
बैठक में शामिल किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहन ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि बैठक में सरकार ने किसानों से तीनों कानूनों पर बारीकी से चर्चा करने की बात कही।
सरकार ने कहा कि कानूनों के एक-एक बिंदु पर चर्चा की जा सकती है, लेकिन इन्हें निरस्त नहीं किया जाएगा।
इस पर किसानों ने कहा कि आंदोलन समाप्त करने का एकमात्र तरीका तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून बनाना है।
जानकारी
किसानों ने मंत्रियों के साथ नहीं खाया खाना
सरकार के कानूनों को निरस्त करने से इनकार करने के बाद किसान नेता नाराज हो गए। यही कारण रहा कि लंच में उन्होंने मंत्रियों के साथ खाना न खाकर बाहर जाकर लंगर से आया खाना खाया। इससे किसानों को रुख साफ नजर आ गया।
उम्मीद
अगले दौर की वार्ता में निकल सकता है हल- तोमर
बैठक के बाद कृषि मंत्री तोमर ने कहा, "बैठक का माहौल अच्छा था। हम तीनों कृषि कानूनों पर बिंदूवार चर्चा करना चाहते थे, लेकिन हम कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। इसका कारण रहा कि किसान तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए थे।"
उन्होंने आगे कहा, "8 जनवरी को अगली बैठक होगी। किसानों का भरोसा सरकार पर है इसलिए अगली बैठक तय हुई है। उम्मीद है कि अगली वार्ता के दौरान हम कोई निष्कर्ष पर पहुंचेंगे।"
बयान
कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं- राकेश टिकैत
सरकार के मंत्रियों के साथ वार्ता के बाद भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा कि 8 जनवरी को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी। इसमें तीनों कानूनों को वापस लेने पर और MSP के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि उन्होंने सरकार को बता दिया है कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।
एक अन्य नेता ने कहा कि सरकार ने कानूनों पर निर्णय के लिए 8 जनवरी तक का समय मांगा है।
चेतावनी
संयुक्त किसान मोर्चा ने दी ट्रैक्टरों से दिल्ली कूच की चेतावनी
इधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि सरकार 26 जनवरी तक उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो उसके बाद देशभर से हजारों की संख्या में किसान अपने-अपने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली कूच करेंगे।
इधर, शाहजंहापुर बॉर्डर पर भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। रविवार को किसानों ने बेरिकेडिंग हटाकर दिल्ली की ओर बढ़ने का प्रयास किया था। इस पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर आंसू गैस के गोले दाग दिए।