शाहीन बाग मामले में SC का फैसला- विरोध के नाम पर सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा गलत
सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में 15 दिसंबर से करीब 100 दिन तक दिल्ली के शाहीन बाग में हुए धरना प्रदर्शन को लेकर बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजिनक स्थानों को ब्लॉक नहीं कर सकता है और सार्वजिनक स्थानों पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा करना पूरी तरह से गलत है। इस तरह के प्रदर्शन से लोगों के अधिकारों का हनन होता है।
शाहीन बाग पर 100 दिन तक चला था विरोध-प्रदर्शन
शाहीन बाग में गत 15 दिसंबर से विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ था। नोएड को जोड़ने वाले मार्ग के बंद होने से लोगों को खासी परेशानी हुई थी। काफी प्रयासों के बाद भी पुलिस धरना नहीं हटा सकी थी। बाद में कोरोना वायरस के कारण दिल्ली में धारा 144 लागू होने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटा दिया था। इस प्रदर्शन के खिलाफ वकील अमित साहनी और बीजेपी नेता नंदकिशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 सितंबर को सुरक्षित रखा था फैसला
मामले में लगातार सुनवाई चल रही थी और गत 21 सितंबर को मामला जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने रखा गया था। उस दिन सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायाधीशों को बताया था कि लॉकडाउन लागू होने के बाद पुलिस ने कानून के तहत कार्रवाई करते हुए प्रदर्शकारियों को सड़क से हटा दिया गया था। इस जानकारी के बाद कोर्ट ने मामले पर आगे सुनवाई को गैरज़रूरी माना और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में की सख्त टिप्पणी
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अनिरूद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा कि शाहीन बाग में मध्यस्थता के प्रयास सफल नहीं हुए, लेकिन इसका कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों में होना चाहिए। संविधान विरोध करने का अधिकार देता है, लेकिन इसे समान कर्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। अंग्रेजों के राज वाली हरकत अब ठीक नहीं है।
इस तरह के प्रदर्शनों पर अधिकारियों को करनी चाहिए कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के शाहीन बाग जैसे विरोध प्रदर्शन स्वीकार नहीं किए जा सकते हैं। जिम्मेदार अधिकारियों को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इनसे लोगों के अधिकारों का हनन होता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अधिकारियों को किस तरीके से कार्य करना है यह उनकी जिम्मेदारी है। प्रशासन को कोर्ट के आदेशों का इंतजार किए बिना ही रास्ता जाम कर प्रदर्शन रहे लोगों को तत्काल हटाना चाहिए।