शाहीन बाग से धरना हटाने की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ पिछले 54 दिनों से दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर दायर की गई एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब सोमवार को सुनवाई करेगा।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए सुनवाई को आगे बढ़ा दिया कि शनिवार को दिल्ली में मतदान होना है। ऐसे में वह सुनवाई करते हुए इसे प्रभावित नहीं करना चाहता है।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, मतदान के बाद सुनवाई करना ठीक रहेगा।
तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बातें
याचिका को लेकर जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि वहां की समस्या को समझा जा सकता है और देखना होगा कि इसे कैसे सुलझाया जाए।
पीठ ने कहा कि शनिवार को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। ऐसे में मामले की सुनवाई बाद में करना ही ठीक रहेगा।
इसके अलावा मामले को दिल्ली हाई कोर्ट के पास भी वापस भेजा जा सकता है।
याचिका
भाजपा के पूर्व विधायक नंद किशोर ने दायर की थी याचिका
भाजपा के पूर्व विधायक नंद किशोर ने शाहीन बाग से धरना प्रदर्शन को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
उन्होंने याचिका में कहा था कि सार्वजनिक स्थान पर चल रहे धरने से शाहीन बाग से नोएडा को जोड़ने वाली सड़क बंद हो रही है। इससे लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
वकील अमित साहनी ने भी याचिका दायर कर धरने में मौजूद नेता और समर्थकों की गतिविधियों पर नजर रखने की मांग की है।
हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को दिए थे यह निर्देश
वकील अमित साहनी ने जनवरी में भी शाहीन बाग से धरना खत्म कराने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
गत 14 जनवरी को हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कानून के तहत काम करते हुए कालिंदी कुंज और शाहीन बाग का रास्ता खुलवाने के निर्देश दिए थे।
उसके बाद पुलिस ने शाहीन बाग पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से एक तरफ का रास्ता खोलने की अपील की थी, लेकिन उसमें अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
पृष्टभूमि
54 दिनों से शाहीन बाग में चल रहा है विरोध प्रदर्शन
दिल्ली के शाहीन बाग में CAA के विरोध में गत 15 दिसंबर से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस प्रदर्शन में अधिकतर संख्या महिलाओं की है।
भाजपा नेताओं ने इस धरने में विपक्षी पार्टियों द्वारा सहयोग किए जाने का आरोप लगाया है।
गुरुवार को प्रवर्तान निदेशालय के एक अधिकारी ने धरने के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की फंडिंग का उपयोग होने और AAP-कांग्रेस नेताओं का PFI दिल्ली के अध्यक्ष से सम्पर्क होने की बात कही थी।
दावा
नागरिकता देने का दावा कर रही सरकार
गत 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद नागरिक संशोधन बिल ने कानून का रूप ले लिया था। सरकार इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता देने का दावा कर रही है।
हालांकि, प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने इस कानून को धर्म के आधार पर बनाया है।