एयर इंडिया ने रातों-रात निकाले 48 पायलट, कुछ फैसले के बाद भी उड़ा रहे थे विमान
एयर इंडिया ने गुरुवार को 48 पायलटों को नौकरी से निकाल दिया है। इन सभी पायलटों ने पिछले साल इस्तीफे दिए थे, लेकिन नियमानुसार छह महीने के नोटिस पीरियड से पहले वापस ले लिए थे। ये पायलट एयरलाइन के एयबस 320 विमानों को उड़ा रहे थे। पहले इन सभी के इस्तीफे वापस लेने को स्वीकार कर लिया गया था, लेकिन गुरुवार को एयर इंडिया ने अपना फैसला बदल लिया। इन पायलटों की सेवा तुरंत प्रभाव से समाप्त हो गई है।
घाटे का सामना कर रही कंपनी, वेतन के लिए पैसा नहीं- एयर इंडिया
बतौर रिपोर्ट एयर इंडिया ने इस फैसले के पीछे कोरोना वायरस संकट के कारण हुई आर्थिक तंगी और विमानों के संचालन पर पड़ने वाले प्रभाव को वजह बताया है। पत्र में लिखा गया है कि मौजूदा स्थितियों के कारण पहले से कम मात्रा में संचालन हो रहा है और ऐसा लग भी नहीं रहा कि जल्द ही हालात सामान्य होंगे। कंपनी पहले से घाटे में हैं और उसके पास वेतन देने के लिए पैसा नहीं है।
पायलट संघ ने एयर इंडिया प्रमुख से की हस्तक्षेप की मांग
नौकरी से निकाले गए पायलटों में कई शुक्रवार तक ड्यूटी पर थे और उन्हें पता नहीं था कि उनकी सेवा समाप्त कर दी गई है। एयरलाइन के इस फैसले के बाद इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (ICPA) ने एयर इंडिया के प्रमुख राजीव बंसल को पत्र लिख 'गैरकानूनी तरीके से पायलटों की सेवा समाप्त करने के मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है।' पत्र में लिखा गया है कि पर्सनल डिपार्टमेंट नियमों को तोड़ते हुए काम कर रहा है।
पायलटों ने जुलाई, 2019 में दिए थे इस्तीफे
बंसल को लिखे पत्र में लिखा गया है कि पायलटों ने पिछले साल जुलाई में इस्तीफे दिए थे, लेकिन छह महीने से पहले वापस भी ले लिए थे। यह नियमों के दायरे में था और एयरलाइन ने भी इस बात को माना है। बता दें कि इन पायलटों ने समय पर वेतन और भत्ते न मिलने का आरोप लगाते हुए जुलाई, 2019 में इस्तीफे दिए थे। बाद में सभी पायलटों ने छह महीनों के भीतर इस्तीफे वापस ले लिए थे।
एयर इंडिया ने दिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
वहीं एयर इंडिया ने अपने बचाव में सुप्रीम कोर्ट के 22 अगस्त, 2019 को दिए गए एक फैसले का हवाला दिया है। एयर इंडिया ने कहा है कि कोर्ट ने पायलटों के नोटिस पीरियड की समीक्षा करते हुए कहा था कि पायलटों के ट्रेनिंग पीरियड और इसकी लागत को देखते हुए इस्तीफा वापस लेना का साधारण कानून पायलटों पर लागू नहीं होता। इस फैसले से साफ है कि पायलटों के इस्तीफे वापस लेने को स्वीकारा नहीं जा सकता।
सेवा समाप्त होने के बावजूद ड्यूटी पर भेजा गया पायलट- ICPA
ध्यान देने वाली बात यह है कि ICPA ने अपने पत्र, जिसे नागरिक उड्डनय मंत्री को भेजा गया है, में लिखा है कि 13 अगस्त को पायलटों की सेवा समाप्त करने के बाद भी 14 अगस्त को एक पायलट को उड़ान पर भेजा गया था। ICPA ने पूछा है कि क्या इस मामले में चालक दल, यात्रियों और विमान का बीमा वैध होता? जिस पायलट ने यह विमान उड़ाया था वह तकनीकी रूप से एयर इंडिया का पायलट नहीं था।
अदालत जाने का विचार कर रहे पायलट
इससे पहले हाल ही में एयर इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने राजीव बंसल को एयरलाइन के कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी पर भेजने का अधिकार दिया था। इस फैसले पर काफी विवाद हुआ था, जिसके बाद एयर इंडिया ने सफाई देते हुए कहा था कि किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा। फिलहाल सेवा समाप्त होने का पत्र मिलने वाले कुछ पायलट न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं।