मुख्य न्यायाधीश बोबड़े बोले- भगवान कृष्ण आज ही जेल में जन्मे थे और तुमको बेल चाहिए?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायधीशों के सख्त रुख और फटकार लगाए जाने की घटनाएं तो आपने अक्सर सुने होंगी, लेकिन जंतात्मक या फिर मजाकिया लहजे में टिप्पणियां बहुत ही कम की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हत्या के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ऐसी ही मजाकिया टिप्पणी सुनने को मिली है।
यह टिप्पणी किसी और ने नहीं बल्कि खुद मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने की है। जिसे सुनकर वकील भी चौंक गए।
टिप्पणी
क्या आप जेल से बाहर जाना चाहते हैं- बोबड़े
हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आरोपी धर्मेन्द्र वलवी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश बोबड़े ने कहा, "आज जन्माष्टमी है और आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण जेल में पैदा हुए थे। क्या आप जेल से बाहर निकलना चाहते हो?"
इस पर याचिकाकर्ता के वकील बोले ने जवाब दिया, "जी माई लॉर्ड।"
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने मुस्कुराते हुए उसकी जमानत याचिका मंजूर कर ली।
जानकारी
अच्छा है कि तुम धर्म से इतना ज्यादा नहीं जुड़े- बोबड़े
मुख्य न्यायाधीश ने आरोपी की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि ठीक है, तुम धर्म से इतना ज्यादा जुड़े हुए नहीं हो। इसके बाद उन्होंने आरोपी को 25,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी। इस टिप्पणी की चारो ओर चर्चा हो रही है।
मामला
भाजपा नेता की हत्या के मामले में सजा भुगत रहा है आरोपी
HT के अनुसार आरोपी धर्मेन्द्र वलवी सहित कांग्रेस के छह कार्यकर्ताओं पर साल 1994 में भाजपा के नेता की हत्या करने का आरोप है।
मामले में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद साल 2017 में हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।
इसको लेकर आरोपियों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। यह मामला न्यायालय में लंबित है।
महाभारत
मुख्य न्यायाधीश ने अन्य मामले की सुनवाई में किया महाभारत का जिक्र
हत्या आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश ने डॉक्टर कफील खान की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर भी सुनवाई की थी।
इस दौरान उन्होंने महाभारत का जिक्र करते हुए टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा था कि महाभारत काल में भी वचुर्अल सुनवाई की जाती थी। आधुनिक दौर में वचुर्अल सुनवाई कोई नई बात नहीं है। महाभारत काल में भी ऐसा होता रहा था और संजय इसके साक्षात उदाहरण हैं।