सुप्रीम कोर्ट का आदेश, यौन कर्मियों का भी बने राशन कार्ड और वोटर ID कार्ड
यौन कर्मियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जल्द से जल्द यौन कर्मियों का राशन कार्ड, वोटर ID कार्ड और आधार कार्ड देने की प्रक्रिया को शुरू किया जाए। कोर्ट ने उनको राशन भी मुहैया कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह फैसला देते हुए कहा कि हर किसी को मूल अधिकार मिले हुए हैं चाहे उनका पेशा कुछ भी हो।
'दरबार महिला समन्वय समिति' की याचिका पर सुनाया फैसला
गैर सरकारी दरबार महिला समन्वय समिति की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। कोविड-19 के दौरान यौन कर्मियों को हो रही परेशानी को लेकर यह याचिका दायर की गई थी। इससे पहले भी कोर्ट यौन कर्मियों के कल्याण के लिए फैसले देता रहा है। पिछले साल 29 सितंबर को भी आदेश दिया था कि राशन देते समय यौन कर्मियों से उनकी पहचान न मांगी जाए।
10 साल पहले हुआ था राशन देने का फैसला
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बीआ गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न ने नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि राशन मुहैया करने का निर्देश 2011 में जारी हुआ था, लेकिन उसे लागू किया जाना बाकी है। पीठ ने कहा कि राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को करीब एक दशक पहले राशन कार्ड और पहचान पत्र जारी करने का निर्देश दिया गया था, उसका कोई कारण नहीं है कि अब तक वे निर्देश क्यों नहीं लागू हुए।
नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं देने के लिए सरकार कर्तव्यबद्ध
कोर्ट ने कहा, "देश के प्रत्येक नागरिक को मूल अधिकार प्राप्त हैं चाहे उनका पेशा कुछ भी हो। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और अन्य प्राधिकारों को राशन कार्ड, वोटर ID और आधार कार्ड जारी करने की प्रक्रिया तत्काल शुरू करनी चाहिए।" पीठ ने कहा, "प्राधिकार नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (NACO) और राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी की भी सहायता ले सकते हैं, जो समुदाय के संगठनों द्वारा दी गई जानकारी का सत्यापन कर यौन कर्मियों की सूची तैयार कर सकते हैं।"
चार हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश
पीठ ने कहा, 'यौन कर्मियों को राशन कार्ड, वोटर ID कार्ड और आधार कार्ड जारी करने के बारे में स्थिति रिपोर्ट आज से चार हफ्ते के अंदर दाखिल की जाए।" कोर्ट ने कहा, "राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेशों को पहले की तरह राशन कार्ड या अन्य पहचान पत्र मांगे बगैर यौन कर्मियों को राशन वितरण जारी रखने का निर्देश दिया जाता है। आदेश की प्रति राज्य और जिला विधिक सेवाएं प्राधिकारों को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजी जाएं।"