साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए देश के कई राज्यों विशेष सेल ही नहीं- रिपोर्ट
दुनिया में बढ़ते तकनीकी कौशल के कारण साइबर अपराधों में तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत में भी हर साल साइबर अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। इसको रोकने के लिए सभी राज्यों में विशेष साइबर क्राइम सेल की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि देश के कई बड़े राज्यों में अभी एक भी साइबर सेल नहीं है। गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
भारत में क्या है साइबर अपराध की स्थिति?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डाटा के अनुसार, भारत में साइबर अपराधों में तेजी से इजाफा हो रहा है और चार साल में इनकी संख्या दोगुनी हो गई। साल 2017 में देश में साइबर अपराध के 21,796 मामले दर्ज हुए थे, जो 2018 में 27,248, साल 2019 में बड़े उछाल के साथ 44,735 पर पहुंच गए। इसी तरह साल 2020 में इनमें 11.80 प्रतिशत का इजाफा हुआ और साइबर अपराध के मामलों की कुल संख्या 50,035 पर पहुंच गई।
पिछले एक साल में 59 प्रतिशत भारतीय हुए साइबर अपराधों का शिकार
सॉफ्टवेयर कंपनी नॉर्टन लाइफलॉक द्वारा दुनिया के 10 देशों में किए गए सर्वे के अनुसार, पिछले एक साल में 59 प्रतिशत से अधिक भारतीय वयस्क साइबर अपराधों के शिकार हुए हैं। कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम (UK) और अमेरिका के 10,000 से अधिक वयस्कों का सर्वेक्षण किया। इनमें 1,000 भारतीय थे। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 12 महीनों में 2.7 करोड़ से अधिक भारतीय पहचान चोरी का शिकार हुए हैं।
भारत के 52 प्रतिशत वयस्क नहीं जानते साइबर अपराध से बचना
कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में सामने आया कि भारत में 52 प्रतिशत से अधिक वयस्क लोग साइबर अपराधों से बचने का तरीका भी नहीं जानते हैं। ऐसे में साइबर अपराधी बड़ी ही आसानी से उन्हें अपना शिकार बना सकते हैं।
देश के कई राज्यों में नहीं है साइबर सेल- रिपोर्ट
केंद्रीय गृह मंत्रालय से प्राप्त रिकॉर्ड के आधार पर गृह मामलों की स्थायी समिति ने गुरुवार को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें बढ़ते साइबर अपराधों पर चिंता जताई गई है। समिति ने कहा कि एक तरफ साइबर अपराध बढ़ रहे हैं और दूसरी ओर पंजाब, राजस्थान, गोवा, असम जैसे कुछ राज्यों में एक भी साइबर क्राइम सेल नहीं है। इसी तरह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में केवल एक या दो सेल स्थापित की गई हैं।
समिति ने की जिला स्तर पर साइबर सेल के गठन की सिफारिश
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर अपराधी हर दिन नई तकनीक का इस्तेमाल कर साइबर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में समिति गृह मंत्रालय को सभी राज्यों में जिलों स्तर पर साइबर सेल स्थापित करने की सलाह देने का सुझाव देती है। समिति ने साइबर अपराधों की का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए राज्यों को साइबर अपराध हॉटस्पॉट का मानचित्र बनाने का भी सुझाव दिया है।
समिति ने ये भी की हैं सिफारिश
समिति ने पारंपरिक पुलिस भर्ती के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों से निपटने के लिए डार्क वेब मॉनिटरिंग सेल और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल की स्थापना करके मौजूदा साइबर सेल को अपग्रेड करने की भी सिफारिश की है। इसके अलावा समिति ने साइबर अपराधियों के तकनीकी तरीकों से निपटने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बल में तकनीकी विशेषज्ञों को शामिल करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।
पुलिसकर्मियों को दिया जा रहा है तकनीकी प्रशिक्षण
गृह मंत्रालय ने समिति को बताया कि 2015 में स्थापित सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA) का एक विशेष केंद्र, अर्थात् राष्ट्रीय डिजिटल अपराध संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र (NDCRTC) सभी राज्यों के पुलिसकर्मियों को साइबर अपराध जांच और साइबर सुरक्षा में प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। पिछले पांच साल में यहां 8,800 पुलिसकर्मियों को डिस्क फोरेंसिक, मोबाइल फोरेंसिक और कॉल डिटेल रिकॉर्ड विश्लेषण, विंडोज फोरेंसिक, इंटरनेट अपराध, नेटवर्क फोरेंसिक, डार्क वेब आदि की जानकारी दी जा चुकी है।