राजस्थान के राज्यपाल ने कहा- जरूरत पड़ी तो फिर कृषि कानून ला सकती है सरकार
क्या है खबर?
अभी केंद्र सरकार ने विवादित कृषि कानून वापस लिए भी नहीं हैं और राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने इन्हें लेकर चौंकाने वाला बयान दे दिया है।
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आगे जरूरत पड़ी तो केंद्र सरकार कृषि कानूनों को फिर से ला सकती है।
उनका ये बयान आंदोलनकारी किसानों की उन आशंकाओं से मेल खाता है जिनमें उन्होंने चुनाव के बाद केंद्र के फिर से कृषि कानून लाने की चिंता व्यक्त की है।
बयान
कलराज मिश्र ने क्या कहा?
उत्तर प्रदेश के भदोही में मीडिया से बात करते हुए कलराज मिश्र ने कहा, "कृषि कानूनों को लेकर किसानों को समझाने का प्रयास किया गया... सकारात्मक पक्ष रखने की कोशिश की गई। लेकिन किसान आंदोलित थे। इस बात पर अड़े हुए थे कि तीनों कानून वापस लिए जाएं। अंत में सरकार को लगा कि कानून वापस लिया जाएं और अगर दोबारा इस संबंध में कानून बनाने की जरूरत पड़ी तो किया जाएगा।"
प्रशंसा
सरकार ने बड़ी शालीनता से वापस लिए कानून- मिश्र
मिश्र ने आगे कहा, "इस वक्त किसान इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं तो उन्हें वापस ले लेना चाहिए। उन्होंने (सरकार ने) बड़ी शालीनता के साथ वापस लिया है। मुझे लगता है कि यह अच्छा कदम है। किसान आंदोलन भी इतने महीनों से चल रहा था, अब समाप्त हो गया। वे सब अब अपने कार्य में लगेंगे।मैं समझता हूं कि उचित निर्णय ही सरकार ने लिया है।"
अन्य बयान
साक्षी महाराज ने भी कहा था- बिल दोबारा आ जाएंगे
मिश्र से पहले भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया था।
समाचार एजेंसी ANI से उन्होंने कहा, "मोदी जी के लिए, भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रथम राष्ट्र है, राष्ट्र सर्वोपरि है। बिल तो बनते रहते हैं, बिगड़ते रहते हैं, वापस आ जाएंगे, दोबारा आ जाएंगे। कोई देर नहीं लगती है... मोदी जी ने बिल और राष्ट्र में से राष्ट्र को चुना। जिन लोगों के गलत मंसूबे थे... उसके ऊपर अच्छा प्रहार किया है।"
ऐलान
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को किया था कानूनों को वापस लेने का ऐलान
बता दें कि किसानों के कड़े विरोध और लगभग एक साल के किसान आंदोलन को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था।
अपने ऐलान में उन्होंने देश से माफी भी मांगी थी और संसद के अगले सत्र में कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी।
उन्होंने आंदोलनकारी किसानों से वापस अपने घर लौटने की अपील भी की थी।
किसानों का रुख
आंदोलन जारी रखने पर अड़े किसान
हालांकि किसान अब भी अपना आंदोलन समाप्त नहीं कर रहे हैं और इसके लिए कानूनों के संसद से रद्द होने का इंतजार करेंगे।
इसके अलावा किसान संगठनों का कहना है कि कानूनों को रद्द करवाना उनकी एक मांग थी और अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून समेत कई मांगें लंबित हैं।
रविवार को किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक बुलाई है जिसमें आंदोलन के भविष्य पर चर्चा की जाएगी।