सरकार के ऐलान के बाद कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया क्या होगी?
किसानों की मांगों के आगे झुकते हुए केंद्र सरकार ने तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक चलेगा। आइये, जानते हैं कि किसी कानून को वापस लेने की प्रक्रिया क्या होती है?
अनुच्छेद 245 देता है कानून बनाने और निरस्त करने की शक्ति
संसद को अनुच्छेद 245 से नए कानून बनाने और पुराने कानून रद्द करने की शक्ति मिलती है। आमतौर पर कानूनों को तब निरस्त किया जाता है, जब उनकी जरूरत पूरी हो गई हो या उन्हें आगे जारी रखने की कोई वजह न बची हो। कुछ मामलों में विसंगतियों को दुरुस्त करने के लिए ऐसा कदम उठाया जा सकता है। जब नया कानून लाया जाता है तो उसमें पुराने कानून को खत्म करने का प्रावधान शामिल कर दिया जाता है।
कानून वापस लेना और रद्द करना एक ही बात
संविधान के जानकार सुभाष कश्यप ने बताया कि कानून को रद्द करना या वापस लेना एक ही बात होती है। किसी कानून को वापस लेने के लिए उसी प्रक्रिया का पालन करना होता है, जो कानून बनाने के लिए अपनाई जाती है। सबसे पहले कृषि मंत्रालय इस दिशा में विधि मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजेगा। विधि मंत्रालय इसके कानूनी पहलुओं की जांच कर इसे कृषि मंत्रालय के पास वापस भेज देगा। फिर कृषि मंत्री इसे संसद में पेश करेंगे।
ये होगी कानून वापस लेेने की प्रक्रिया
कृषि कानूनों के मामले में कृषि मंत्री सदन के सदस्यों से इस विधेयक का परिचय कराएंगे और फिर इस पर चर्चा शुरू होगी। विपक्ष के रूख को देखते हुए लग रहा है कि यह लोकसभा में आसानी से पारित हो जाएगा और फिर इसे राज्यसभा भेजा जाएगा। राज्यसभा में भी इस विधेयक पर चर्चा होगी और यहां से पारित होने के बाद कृषि कानूनों को रद्द करने वाले इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
ये तीनों कानून होंगे रद्द
राष्ट्रपति की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद नया कानून लागू हो जाएगा, जिसमें पुराने कानून निरस्त करने का प्रावधान किया गया होगा। इस तरह कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम, कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम निरस्त हो जाएंगे। इन्हें पिछले राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 27 सितंबर को अधिसूचित किया गया था और तभी से किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
कानून रद्द होने तक जारी रहेगा आंदोलन- किसान संगठन
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भले ही किसानों से प्रदर्शनस्थल छोड़कर घर लौटने की अपील की है, लेकिन किसान संगठन अभी इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे। भारतीय किसान यूनियन के नेता और आंदोलन के प्रमुख चेहरे राकेश टिकैत ने ट्विटर पर लिखा, 'आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।'