BBC डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस, 3 हफ्ते में मांगा जवाब
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित BBC डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। प्रतिबंध के खिलाफ दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये नोटिस जारी किया।
उसने सरकार से डॉक्यूमेंट्री को सार्वजनिक प्लेटफॉर्म्स से हटाने के मूल आदेश का रिकॉर्ड भी मांगा है।
कोर्ट ने सरकार से तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है और मामले पर अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।
याचिका
याचिकाओं में क्या मांग की गई है?
डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध के खिलाफ एक याचिका वकील एमएल शर्मा ने दायर की है, वहीं दूसरी याचिका वरिष्ठ पत्रकार एन राम, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा ने मिलकर दायर की है।
इन याचिकाओं में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने डॉक्यमेंट्री पर रोक के आदेश को आधिकारिक तौर पर प्रकाशित नहीं किया और प्रतिबंध का आदेश मनमाना, दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक है। उन्होंने इस आदेश को रद्द करने की मांग की है।
याचिका
याचिकाओं में और क्या कहा गया है?
याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को तय कर करना चाहिए कि देश के नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19 में दिए गए अभिव्यक्ति के अधिकार के तहत 2002 गुजरात दंगों पर समाचार, तथ्य और रिपोर्ट देखने का अधिकार है या नहीं।
एक याचिका में दावा किया गया है कि BBC की डॉक्यूमेंट्री में ऐसे तथ्य और सबूत मौजूद हैं, जिनका उपयोग दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए किया जा सकता है।
पृष्ठभूमि
केंद्र सरकार ने आपातकालीन नियमों का इस्तेमाल कर लगाई है डॉक्यूमेंट्री पर रोक
बता दें कि केंद्र सरकार ने 21 जनवरी को आपातकालीन नियमों का इस्तेमाल करते हुए IT नियम 2021 की धारा 16 के तहत इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर रोक लगाई थी।
25 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किए गए ये नियम आपातकाल के मामले में सूचना को अवरुद्ध करने के संबंध में सरकार को शक्ति प्रदान करते हैं और किसी सामग्री को तुरंत हटाने की अनुमति देते हैं।
रोक के बावजूद कई यूनिवर्सिटीज में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई है।
पृष्ठभूमि
डॉक्यूमेंट्री में क्या दिखाया गया है?
'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक BBC की इस डॉक्यूमेंट्री में 2002 गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है।
इसमें बताया गया है कि दंगों के बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने अपने स्तर पर मामले की जांच की थी और इसमें पाया गया था कि हिंसा पहले से सुनियोजित थी और राज्य सरकार के संरक्षण में विश्व हिंदू परिषद (VHP) जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इसे अंजाम दिया था।
प्रतिक्रिया
सरकार का डॉक्यूमेंट्री पर क्या कहना है?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने डॉक्यूमेंट्री से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए इसे प्रोपेगेंडा का हिस्सा बताया था।
उन्होंने कहा था, "हमारा मानना है कि यह एक प्रोपेगेंडा सामग्री है, जिसे एक विशेष बदनाम नेरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया है। इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट दिखाई दे रही है।" उन्होंने कहा था कि यह डॉक्यूमेंट्री, जिस एजेंसी ने इसे बनाया है, उसकी मानसिकता दर्शाती है।