किसान आंदोलन: देशभर में पंचायत स्तर पर भीड़ जुटाने की तैयारी में है किसान यूनियन
कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अब आंदोलन में भीड़ जुटाने के लिए नई रणनीति तैयार की है। इसके तहत अब किसान यूनियन पश्चिम उत्तर प्रदेश और हरियाणा की तर्ज पर देश के अन्य हिस्सों में भी पंचायत स्तर पर सभाएं आयोजित कर सकती है। इसका मुख्य उद्देश्य आंदोलन को देश के कोने-कोने में पहुंचाना है। हालांकि, इसको लेकर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
किसान आंदोलन की यह है मौजूदा स्थिति
सरकार और किसानों के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता में कोई समाधान नहीं निकल सका है। 22 जनवरी की आखिरी वार्ता में सरकार ने 18 महीनों के लिए कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसान निरस्त कराने पर अड़े हैं।
आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए होगी अहम बैठक
TOI के अनुसार आंदोलन को देशभर में पहुंचाने और आगे की रणनीति बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की बुधवार को अहम बैठक होगी। इसमें पंचायत स्तर पर सभाएं आयोजित करने, अधिक चक्का जाम करने, टोल प्लाजा से वाहनों की मुफ्त निकासी, अंबानी और अडानी कॉरपोरेट्स के उत्पादों का बहिष्कार करने सहित अन्य योजनाओं पर आम सहमति बनाई जाएगी। इसके बाद SKM द्वारा आगे की योजनाओं की अधिकारिक घोषणा की जाएगी।
भीड़ जुटाने के लिए किया जाएगा प्रधानमंत्री की 'परजीवी' वाली टिप्पणी का इस्तेमाल
आंदोलन में भीड़ जुटाने के लिए किसान नेता दिल्ली के आस-पास के अन्य प्रदर्शन स्थलों सहि अन्य राज्यों में जाएंगे और वहां प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से गत दिनों कुछ आंदोलनकारियों पर की गई 'परजीवी' की टिप्पणी को मुद्दा बनाएंगे। इसका प्रमुख उद्देश्य किसानों के साथ-साथ ट्रेड यूनियन, औद्योगिक श्रमिक और बेरोजगारों को आंदोलन में शामिल करना है। इस दौरान वह सत्ताधारियों के लिए 'कॉर्पोरेटजीवी' शब्द का उपयोग करेंगे।
आंदोलन को गति देने के लिए बनाई जाएगी रणनीति- मोल्लाह
पूर्व लोकसभा सांसद और अखिल भारतीय किसान सभा के नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा, "हम SKM बैठक के बाद सर्वसम्मति के साथ आगे की रणनीति की घोषणा करेंगे। यह आंदोलन को आगे ले जाने को लेकर सामूहिक निर्णय होगा।" उन्होंने आंदोलन को खत्म करने के सवाल पर कहा, "हम सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, बशर्ते सरकार इसके लिए अनुकूल माहौल बनाए और किसानों के सामाने एक नया प्रस्ताव प्रस्तुत करे।"
प्रधानमंत्री मोदी ने किया किसानों का अपमान- मोल्लाह
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के 18 महीने के लिए कानूनों को निलंबित करने के प्रस्ताव पर मोल्लाह ने कहा, "हम उम्मीद कर रहे थे प्रधानमंत्री राज्यसभा में कुछ घोषणा करेंगे, लेकिन उन्होंने आंदोलनकारियों को 'परजीवी' करार देकर उनका ही अपमान कर दिया।"
किसान नेताओं ने सरकार से वार्ता के लिए जताई सहमति
बता दें कि सोमवार को राज्यसभा में प्रधामंत्री मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की और कहा था कि सरकार मिलकर बात करेगी और वह फिर सभी किसान नेताओं को वार्ता का निमंत्रण देते हैं। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य शिव कुमार कक्का ने कहा था कि वह सरकार से वार्ता के लिए तैयार हैं और सरकार को अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख और समय निर्धारित कर उन्हें बताना चाहिए।
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।