बुधवार को कृषि कानून वापस लेने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है केंद्रीय मंत्रिमंडल
क्या है खबर?
केंद्रीय मंत्रिमंडल बुधवार को तीनों कृषि कानून वापस लेने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है।
बताया जा रहा है कि 24 नवंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक होने वाली है, जिसमें तीनों कानूनों को वापस लेने के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई जाएगी।
जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद ही कृषि मंत्रालय और उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया था और उनके प्रस्तावों को अगले हफ्ते मंजूरी मिल जाएगी।
कानून वापसी
मोदी बोले- किसानों को समझा नहीं पाए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कृषि कानूनों वापस लेने का ऐलान करते हुए कहा था कि संसद के शीतकालीन सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
उन्होंने कहा, "हमारी सरकार छोटे किसानों के कल्याण के लिए सत्यनिष्ठा से कानून लेकर आई थी, लेकिन यह बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।
इस मौके पर उन्होंने आंदोलनकारी किसानों से वापस अपने खेतों और घरों में लौटने की अपील की।
जानकारी
ये कानून होंगे वापस
केंद्र सरकार पिछले साल कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम, कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम लेकर आई थी। अब इन्हें वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
जानकारी
सोमवार तक तैयार हो जाएंगे प्रस्ताव
पहले दो कानून कृषि मंत्रालय के तहत आते हैं, जबकि तीसरा कानून उपभोक्ता मामले मंत्रालय के तहत आता है।
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान के बाद से ही दोनों मंत्रालय कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं। इसके लिए कृषि भवन में काम चल रहा है और सोमवार तक यह प्रस्ताव तैयार हो सकता है।
मंत्रिमंडल से हरी झंडी मिलने के बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा।
जानकारी
ये रहेगी आगे की प्रक्रिया
संसद में लोकसभा और राज्यसभा कृषि कानूनों को वापस लेने वाले विधेयक पर चर्चा कर इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजेंगे। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही कृषि कानूनों को वापस लेने वाला विधेयक कानून बन जाएगा और तीनों कानून रद्द हो जाएंगे।
किसान आंदोलन
आंदोलन जारी रखने पर अड़े किसान
कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद भी किसान अपना आंदोलन समाप्त नहीं कर रहे हैं।
किसान संगठनों का कहना है कि कानूनों को रद्द करवाना उनकी एक मांग थी और अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून समेत कई मांगें लंबित हैं।
रविवार को किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक बुलाई है। इसमें सरकार को MSP पर बातचीत शुरू करने के लिए पत्र लिखने पर सहमति बन सकती है।
जानकारी
जारी रहेंगे किसानों के कार्यक्रम
किसानों का कहना है कि सरकार के ऐलान के बाद भी उनके कार्यक्रम पहले की तरह जारी रहेंगे।
22 नवंबर को किसान लखनऊ में महापंचायत कर रहे हैं। वहीं 26 नवंबर को आंदोलन का एक साल पूरा होने पर देशभर में जश्न मनाया जाएगा।
किसान नेताओं ने बताया कि 29 नवंबर को प्रस्तावित संसद मार्च वापस नहीं लिया गया है और शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना आंदोलनकारी संसद की तरफ मार्च करेंगे।