किसान बोले- कृषि कानून वापस होने तक जारी रहेगा आंदोलन, MSP पर गारंटी मांगी
पिछले करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा है कि औपचारिक रूप से कृषि कानून वापस होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। रविवार को किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अहम बैठक बुलाई थी, जिसमें आगे की कार्ययोजना पर चर्चा की गई। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि कई कृषि कानून वापस लेना अच्छा कदम है, लेकिन कई मांगें अभी भी लंबित हैं।
शुक्रवार को मोदी ने की थी कानून वापस लेने की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करते हुए कहा था कि संसद के शीतकालीन सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा, "हमारी सरकार छोटे किसानों के कल्याण के लिए सत्यनिष्ठा से कानून लेकर आई थी, लेकिन यह बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। इस मौके पर उन्होंने आंदोलनकारी किसानों से वापस अपने खेतों और घरों में लौटने की अपील की।
जारी रहेंगे किसानों के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम
किसान नेता राजेवाल ने कहा कि बैठक में कृषि कानूनों की वापसी पर चर्चा हुई और कई फैसले लिए गए। उन्होंने बताया कि किसानों के पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम जारी रहेंगे और 22 नवंबर को लखनऊ में पंचायत होगी, 26 नवंबर को प्रदर्शनस्थलों पर लोगों को बुलाया जाएगा और 29 नवंबर को संसद मार्च निकाला जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने अब 27 नवंबर को अगली बैठक बुलाई है, जिसमें स्थिति के हिसाब से निर्णय लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखेंगे किसान
राजेवाल ने आगे कहा कि किसान संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखकर अपनी लंबित मांगों का जिक्र करेंगे। पत्र में किसानों की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समिति, इसके अधिकार, इसकी समयसीमा, इलेक्ट्रिसिटी बिल 2020 और किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग शामिल होगी। उन्होंने बताया कि किसान लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी की भी मांग करेंगे।
केवल एक मुद्दा कम हुआ है- टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केवल कृषि कानून वापस हुए हैं। यानी केवल एक मुद्दा कम हुआ है और बाकी अभी बचे हुए हैं। किसानों पर दर्ज मुकदमे और किसानों की मौत जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण है। मोर्चा का कहना है कि 670 किसान इस आंदोलन के दौरान जान गंवा चुके हैं और सरकार को उनके आश्रितों को मुआवजा और रोजगार देना चाहिए। साथ ही मोर्चा ने उनके नाम एक स्मारक बनाने की मांग की है।
शुरू हो चुका है कानून वापस लेने का काम
प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान के बाद सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। तीन में से दो कानून कृषि मंत्रालय और एक उपभोक्ता मामले मंत्रालय के तहत आता है। दोनों ही मंत्रालय कानून वापसी के प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं और सोमवार तक यह काम पूरा हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट की 24 नवंबर को होने वाली बैठक में इन प्रस्तावों को हरी झंडी दिखाई जा सकती है।