महाराष्ट्र: राज्यपाल को नहीं दी गई राज्य सरकार के विमान के उपयोग की अनुमति
महाराष्ट्र में राज्य सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच टकराव का एक नया मामला सामने आया है। गुरूवार को राज्य सरकार ने राज्यपाल को देहरादून जाने के लिए सरकारी विमान के उपयोग की मंजूरी नहीं दी जिसके बाद उन्होंने खुद एक कमर्शियल सीट बुक की और इससे देहरादून गए। मामले में भाजपा ने राज्य सरकार पर राज्यपाल का अपमान करने का आरोप लगाया है और माफी की मांग की है। पूरा मामला क्या है, आइए आपको बताते हैं।
मसूरी के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जा रहे थे राज्यपाल
दरअसल, राज्यपाल कोश्यारी को शुक्रवार को मसूरी में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेना है और इसके लिए उन्हें आज सुबह 10 बजे मुंबई से देहरादून रवाना होना था। इसके लिए वह सुबह तय समय पर मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंच गए, लेकिन वहां उनसे कहा गया कि राज्य सरकार से अभी विमान के इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिली है। इसके बाद राज्यपाल के कार्यालय ने उनके लिए एक कमर्शियल विमान में सीट बुक की और वह 12:15 बजे देहरादून रवाना हुए।
सरकारी विमान में बैेठ गए थे राज्यपाल, अनुमति न मिलने पर उतरे
एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "राज्य सरकार का एक विमान बुक किया गया था, लेकिन अंतिम समय तक अनुमति नहीं आई।" सूत्र ने बताया कि राज्यपाल राज्य सरकार के विमान में बैठ गए थे और अनुमति न मिलने पर उन्हें इससे उतरना पड़ा। उन्होंने कहा, "आमतौर पर राज्यपाल अनुमति का इंतजार नहीं करते हैं, इसलिए राज्यपाल कोश्यारी विमान में जाकर बैठ गए। इसके बाद पायलट ने कहा कि अनुमति नहीं आई है।"
भाजपा की मांग- माफी मांगे सरकार
मामला सामने आने के बाद भाजपा ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मुनगंटीवार ने कहा कि महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार को राज्यपाल का अपमान करने के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जानबूझकर अनुमति नहीं दी है तो राज्य की प्रतिष्ठा पर धब्बा है। उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया है तो सरकार को जिम्मेदार अधिकारी को निलंबित करना चाहिए।
उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा- मामले की जानकारी नहीं
दूसरी तरफ राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने मामले की कोई जानकारी होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय पहुंच कर वह मामले की जानकारी लेंगे और इसी के बाद कुछ कहने की स्थिति में होंगे।
मनोनीत सदस्यों को लेकर पहले से ही आमने-सामने हैं सरकार और राज्यपाल
गौरतलब है कि ये मामला ऐसे समय पर सामने आया है जब महाराष्ट्र विधान परिषद में मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल पहले से ही आमने-सामने हैं। सरकार का कहना है कि वह पिछले साल नवंबर में ही राज्यपाल को 12 नामों की सिफारिश कर चुकी है, लेकिन राज्यपाल इन नामों को मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं। राज्य सरकार मामले में कोर्ट जाने पर भी विचार कर रही है।