
कोरोना वायरस: वेंटिलेटर बनाएगा रेलवे, ट्रेन के डिब्बों में बनेंगे आईसोलेशन वार्ड
क्या है खबर?
भारत में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस (COVID-19) से लंबी लड़ाई के लिए रेलवे भी तैयारी में जुटा है।
इसके लिए रेलवे ट्रेनों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने और अपनी फैक्ट्रियों में वेंटिलेटर बनाने की योजना बना रहा है। ट्रेनों में बने आइसोलेशन वार्ड ग्रामीण और सुदूर इलाकों में भेजे जाने की योजना है।
बता दें कि भारत में 500 से ज्यादा लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं और 10 लोग जान गंवा चुके हैं।
कोरोना वायरस
कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू होने के हालातों के लिए की जा रही तैयारी
बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये जानकारी देते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने अधिकारियों को वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन (सामुदायिक प्रसार) शुरू होने की सूरत में बनने वाले हालातों के लिए तैयार रहने को कहा।
इस हालात में देशभर में, खासकर ग्रामीण और सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी संख्या में जरूरत होगी।
सरकार इस वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन रोकने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है।
योजना
चेन्नई में बनेंगे वेंटिलेटर
रेलवे ने कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्ट्री (RCF) को LHB कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदलने और चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) को वेंटिलेटर तैयार करने का काम सौंपा है। LHB कोच की तस्वीर आप ऊपर देख सकते हैं।
ICF ने भारत की पहली इलेक्ट्रिक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन (ट्रेन-18) का निर्माण किया था। यह ट्रेन दिल्ली से वाराणसी और दिल्ली से कटरा के बीच चलती है।
जानकारी
"21 दिनों के बाद के हालातों के लिए हो रही तैयारी"
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये निर्देश तैयारियों को पूर्ण रूप देने के लिए हैं। ये 21 दिनों के लॉकडाउन से आगे की स्थिति को ध्यान में रखकर तैयारी की जा रही है।
तैयारी
आइसोलेशन वार्ड के डिजाइन पर किया जा रहा काम
RCF कपूरथला फिलहाल LHB कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने का काम कर रही है। यह एक नॉन-एसी कोच होगा क्योंकि एसी कोच में हवा को सैनिटाइज करना काफी मुश्किल काम होता है।
ट्रेनों के कोच में मरीज से दूसरे मरीज की दूरी, सफाई, सेहत पर ध्यान रखने के लिए आवश्यक उपकरण और शौचालय आदि की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए डिजाइन तैयार किया जा रहा है।
संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई और दूरी बेहद आवश्यक है।
चुनौती
वेंटिलेटर बनाने में आ रही चुनौती
अधिकारियों ने बताया कि एक बार डिजाइन तैयार होने के बाद कोच को आईसोलेशन वार्ड में बदलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
अभी रेल सेवा बंद होने के कारण ट्रेनें खाली खड़ी हैं। ऐसी स्थिति में इनका इस्तेमाल भी हो सकेगा।
हालांकि, रेलवे को वेंटिलेटर तैयार करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वेंटिलेटर बनाने के ICF के कई प्रयास बेकार हो चुके हैं, लेकिन अधिकारी और कर्मचारी पूरी शिद्दत से मेहनत करने में जुटे हुए हैं।
हालात
देश में वेंटिलेटर की भारी कमी
देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच वेंटिलेटर की कम संख्या चिंताजनक है।
देश में 130 करोड़ की आबादी पर महज 40,000 वेंटीलेटर है, जिनमें से अधिकतर सरकारी मेडिकल कॉलेजों, महानगर, राजधानियों और बड़े निजी अस्पतालों में संचालित है।
यदि कोरोना संक्रमितों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी होती है तो भारी समस्या का सामना करना पड़ेगा। वर्तमान वेंटिलेटर आबादी के अनुपात में बहुत कम है।
जानकारी
स्थिति बिगड़ने पर किया जाता है वेंटिलेटर पर उपचार
बता दें कि कोरोना वायरस सीधे लोगों के फेफड़ों पर हमला करता है। कुछ मामलों में निमोनिया की तरह लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसी स्थिति में वेंटिलेटर के जरिए फेफड़ों तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाकर मरीजों को जीवित रखा जा सकता है।
डर
वेंटिलेटर की कमी के कारण बढ़ सकता है मौत का आंकड़ा
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की पूर्व सचिव राव ने बताया कि यदि संक्रमितों की संख्या बढ़ती है तो वेंटिलेटर की कमी के कारण देश में मौत का आकंड़ा बढ़ सकता है।
उन्होंने बताया कि दक्षिण कोरिया ने अपने संसाधनों की वजय से कोरोना वायरस का सफलतापूर्वक सामना किया है।
वर्तमान में चीन में 15 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है और 5 प्रतिशत को वेंटिलेटर की जरूरत है। नहीं मिलने पर उनकी मौत हो जाएगी।