उन्नाव केस: पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में सेंगर को 10 साल की सजा
क्या है खबर?
उन्नाव में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कुलदीप सिंह सेंगर को 10 साल के कारावास की सजा मिली है।
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने पीड़िता के पिता की गैरइरादतन हत्या के मामले में सेंगर और छह अन्य दोषियों को 10-10 साल कारावास और 10-10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह राशि पीड़िता को दी जाएगी।
सजा पाने वालों में उत्तर प्रदेश पुलिस के दो अधिकारी भी शामिल है।
दोषी
अदालत ने इन सभी को सुनाई सजा
अदालत ने मामले में कुलदीप सेंगर के अलावा माखी थाने के तत्कालीन थानाप्रभारी अशोक सिंह भदौरिया, उप निरीक्षक कामता प्रसाद, विनीत मिश्रा उर्फ विनय मिश्रा, बीरेंद्र सिंह उर्फ बउवा सिंह, शशि प्रताप सिंह उर्फ सुमन सिंह और जयदीप सिंह उर्फ अतुल सिंह को सजा सुनाई हैं।
गत 4 मार्च को अदालत ने सातों को दोषी करार देकर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसी प्रकार शैलेंद्र सिंह, राम शरण, अमीर खान और कॉन्स्टेबल शरदवीर सिंह को बरी कर दिया गया था।
जानकारी
इन धाराओं में सुनाई सजा
तीस हजारी कोर्ट ने सातों दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैरइरादतन हत्या) हत्या का दोषी माना है। इसी प्रकार उन्हें धारा 120B, 166, 167, 193, 201, 203, 211, 218, 323, 341, सेक्शन 3 आर्म्स एक्ट 1959 का भी दोषी मना गया है।
गुहार
सेंगर ने अदालत से लगाई रहम की गुहार
सजा सुनाए जाने के दौरान सेंगर ने अदालत से दो बेटियां होने के कारण खुद को छोड़ने की गुहार लगाई।
न्यायाधीश ने कहा कि सबका परिवार होता है। अपराध करते समय यह सब सोचना चाहिए था, लेकिन उसने सभी कानूनों को तोड़ा है।
इसी तरह केंद्रीय जांच एजेंसी CBI के वकील ने मामले में दोषी पाए गए सभी सातों दोषियों को अधिक से अधिक सजा देने की मांग की थी। इसके बाद उसे 10 साल की सजा सुनाई गई है।
जानकारी
पीड़िता के पक्ष में 55 लोगों ने दी थी गवाही
मामले में अदालत में 55 लोगों ने पीड़िता के पक्ष में गवाही दी थी। सभी ने दोषियों को अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इसके उलट दोषियों की ओर से महज नौ गवाह उपस्थित हुए थे, लेकिन वह उन्हें निर्दोष साबित नहीं कर सके।
पृष्ठभूमि
यह है पूरा मामला
सेंगर ने जून 2017 में नाबालिग पीड़िता को नौकरी दिलाने के नाम पर अपने घर बुलाकर उसका रेप किया था।
पीड़िता की शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने पर उसने एक साल बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर के सामने आत्मदाह की कोशिश की तो मामले ने तूल पकड़ लिया।
पुलिस ने पीड़ता के पिता को हिरासत में लिया और पिटाई के कारण हिरासत में ही उनकी मौत हो गई। सेंगर और उसके भाई पर पिटाई करने का आरोप लगा था।
मामला
पीड़िता के पिता को फंसाकर जेल में डाला गया था
पीड़िता के 55 वर्षीय पिता को हथियार संबधी कानून में फंसाकर जेल में डाला गया था।
मौत से कुछ ही घंटों पहले पेट दर्द की शिकायत पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब उनके चेहरे पर चोट के कई निशान थे।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर 14 चोटें पाई गई थीं। इसमें आंत में छेद होने के कारण खून में जहर फैलने को उसकी मौत का कारण बताया गया था।
वीडियो
वीडियो में पिता ने लगाया था सेंगर के भाई अतुल सिंह पर आरोप
पीड़िता के पिता की मौत के कुछ महीने बाद सामने आए एक वीडियो में उन्होंने सेंगर के भाई अतुल सिंह पर उन्हें पीटने का आरोप लगाया था।
वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना गया था, "अतुल सिंह ने मुझे पीटा। वो मुझे पीटता रहा। किसी ने भी मुझे बचाने की कोशिश नहीं की। पुलिसवाले वहीं खड़े थे।"
तीन पुलिसकर्मियों पर भी मामले में हत्या का आरोप लगा था और कोर्ट ने इसे एक साजिश का हिस्सा बताया था।
जांच
CBI ने की थी पूरे प्रकरण की जांच
मीडिया में मामले के उछलने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार और भाजपा पर सेंगर के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया था।
राज्य सरकार ने मामले को CBI को सौंप दिया। CBI ने सेंगर को गिरफ्तार किया और जांच में उस पर लगे रेप के आरोपों को सही पाया था।
CBI ने कोर्ट को बताया था कि विधायक सेंगर ने 4 जून, 2017 के आसपास पीडि़ता से रेप किया था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा
उम्रकैद की सजा के बाद रद्द हुई थी सदस्यता
रेप मामले में पिछले साल 20 दिसंबर में तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
कोर्ट ने सेंगर को IPC की धारा 376 के तहत रेप का दोषी और POCSO एक्ट की धारा 5(C) और धारा 6 के तहत दोषी पाया था।
सेंगर को उम्रकैद की सजा होने के बाद उनकी उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। भाजपा पहले ही उसे पार्टी से निष्कासित कर चुकी थी।