प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक: भारत में लगातार घटती जा रही है पत्रकारों की आजादी, मिला 150वां स्थान
भारत में पत्रकारों की आजादी लगातार घटती जा रही है और यहां उन्हें कई बड़ो खतरों से गुजरना पड़ता है। यही कारण है मंगलवार को जारी किए गए रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के वार्षिक विश्लेषण के अनुसार भारत को विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2022 में 180 देशों में से आठ स्थानों की गिरावट के साथ 150वां स्थान दिया गया है। पिछले साल भारत को 142वां स्थान मिला था और उसे पत्रकारिता के लिए सबसे बुरे देशों में शामिल किया गया था।
प्रेस की स्वतंत्रता में नॉर्वे ने बरकरार रखा है शीर्ष स्थान
रिपोर्ट के अनुसार प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में नॉर्वे ने लगातार पांचवें साथ पहले पायदान पर कब्जा जमाया है। पत्रकारिता के लिहाज से यह देश सबसे सुरक्षित है। इसके बाद डेनमार्क को दूसरा, स्वीडन को तीसरा, इस्टोनिया को चौथा, फिनलैंड को पांचवां, आयरलैंड को छठा, पुर्तगाल को सातवां, कोस्टा रिका को आठवां, लुथियाना को नौवा और लिकटेंस्टाइन को दसवां स्थान दिया गया है। इन देशों में पत्रकारिता करना बेहद आसान है।
ये हैं पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश
RSF की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरी कोरिया प्रेस की स्वतंत्रता में सबसे पिछड़ा देश है और इसे 180वां स्थान मिला है। इसके बाद पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में इरिटि्रया, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, म्यांमार, चीन, वियतनाम, क्यूबा, इराक और फिर सीरिया का नंबर आता है। इन देशों में प्रेस को बहुत कम स्वतंत्रता मिली हुई है और यहां पर स्वतंत्र पत्रकारिता बहुत मुश्किल है। हालांकि, इसके पीछे अधिकतर देशों का पिछड़ापन बड़ा कारण है।
भारत के पड़ोसी देशों की यह है हालात
इस सूची में चीन को दो स्थानों के सुधार के साथ 175वां स्थान मिला है, वहीं पाकिस्तान को 12 स्थानों की गिरावट के साथ 157वां, बांग्लादेश को 10 स्थानों के नुकसान के साथ 162वां और श्रीलंका को 19 स्थानों के नुकसान के साथ 146वां स्थान मिला है। इसी तरह नेपाल को 30 स्थानों के सुधार के साथ 106वां स्थान मिला है। यह बड़ी उपलब्धि है। ऐसे में श्रीलंका और नेपाल पत्रकारों के लिए भारत की तुलना में अधिक सुरक्षित है।
2016 के बाद लगातार कम हो रही है भारत की रैंकिंग
साल 2016 में भारत पे्रस की स्वतंत्रता के मामले में 133वें पायदान पर था, लेकिन उसके बाद से लगातार पिछड़ता जा रहा है। 2017 में भारत फिसलकर 136वें, साल 2018 में 138वें, साल 2019 में 140वें, साल 2020 और 2021 में 142वें पायदान पर था।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में खतरे में है प्रेस की स्वतंत्रता- रिपोर्ट
RSF की रिपोर्ट में कहा गया है, "पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया और मीडिया स्वामित्व की एकाग्रता आदि दर्शाते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता संकट में है, जिसका नेतृत्व साल 2014 से भाजपा के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदू राष्ट्रवादी अधिकार का अवतार कर रहे हैं।" रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत में भाजपा और मीडिया पर हावी बड़े उद्योगपति प्रेस को नियंत्रित कर रहे हैं।"
कोरोना महामारी में पत्रकारों के खिलाफ की गई कार्रवाई का भी किया उल्लेख
रिपोर्ट में कोरोना महामारी के दौरान पत्रकारों के खिलाफ की गई कार्रवाई का भी उल्लेख किया है। इसमें कहा गया है कि कोरोना महामारी में सरकार और उसके समर्थकों ने मीडिया संस्थानों के खिलाफ मुकदमों दर्ज कराने की मुहिम सी छेड़ दी। सरकार ने महामारी की कवरेज को लेकर कई बार मीडिया रिपोर्ट का खंडन किया और 55 पत्रकारों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर लिए। यह प्रेस की स्वतंत्रता के लिए भयानक स्थिति थी।
साल 2022 में हुई एक पत्रकार की हत्या
रिपोर्ट में कहा गया है सरकार की तानाशाही के चलते जनवरी से लेकर अब तक 13 पत्रकारों को जेल में पहुंचाया जा चुका है, जबकि एक पत्रकार की हत्या की गई है। ऐसे में भारत में पत्रकारिता करना अब बेहद चुनौतीपूर्ण काम हो गया है।
सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे हैं घृणा पैदा करने वाले अभियान- रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर घृणा और हत्या के आह्वान के भयानक अभियान चलाए जाते हैं। ये अभियान अक्सर और भी अधिक हिंसक होते हैं और उनमें महिला पत्रकारों को लक्षित किया जाता है। इसके तहत महिला पत्रकारों की व्यक्तिगत जानकारी को अतिरिक्त उत्तेजना के रूप में ऑनलाइन पोस्ट किया जाता है। कश्मीर में भी स्थिति बहुत चिंताजनक है और वहां पत्रकारों को पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा परेशान किया जाता है।