'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' के चीन निर्मित होने पर राहुल गांधी का तंज, सरकार ने किया पलटवार
बीते शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बसंत पंचमी के अवसर पर हैदराबाद में 11वीं सदी के हिंदू संत रामानुजाचार्य के सम्मान में बनी 216 फीट ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' का उद्घाटन किया था। अब इस प्रतिमा के चीन में बनने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' चीन में बना हुआ है। आइये जानते हैं कि इस पर सरकार ने क्या प्रतिक्रिया दी है।
राहुल के सवाल पर सरकार का पलटवार
राहुल गांधी ने प्रतिमा के चीन में बने होने की बात ट्वीट करते हुए पूछा कि क्या नया भारत चीन पर निर्भर है। इसका जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने साफ किया कि इस प्रतिमा के निर्माण में सरकार किसी भी तरह से शामिल नहीं थी। यह एक निजी पहल थी, जिसकी शुरुआत के समय कांग्रेस सरकार थी और यह प्रतिमा प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान से पहले से बन रही है।
क्या यह प्रतिमा चीन में बनी है?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का निर्माण चीन की एयरोसन कॉर्पोरेशन नामक कंपनी ने किया है। प्रतिमा को चीन में तैयार और भारत में असेंबल किया गया था। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के अगले साल यानी 2015 में इस कंपनी को ठेका दिया गया था। एक भारतीय कंपनी भी इस रेस में शामिल थी, लेकिन चीनी कंपनी ने बाजी मारते हुए इस प्रतिमा का ठेका हासिल कर लिया।
1,000 करोड़ रुपये है प्रोजेक्ट की लागत
रिपोर्ट के मुताबिक, दान के जरिये इस प्रोजेक्ट के लिए पैसा इकट्ठा किया गया था। स्टैच्यू के निर्माण पर 135 करोड़ रुपये का खर्च आया है, जबकि इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत 1,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार, प्रतिमा बनाने में 1,800 टन से अधिक पंच लोह का उपयोग किया गया है। पार्क के चारों ओर 108 दिव्यदेशम या मंदिर बनाए गए हैं। पत्थर के खंभों को राजस्थान में तराशा गया है।
इस स्टैच्यू की खासियत क्या है?
रामानुजाचार्य की यह प्रतिमा 216 फीट ऊंची है और इसे 'पंचधातु' से बनाया गया है। इसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है और यह दुनिया में बैठी अवस्था में सबसे ऊंची धातु की प्रतिमाओं में से एक है। यह प्रतिमा 54 फीट ऊंचे आधार भवन 'भद्र वेदी' पर बनाई गई है। इसमें रामानुजाचार्य के कार्यों का बखान करने के लिए वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, थिएटर और शैक्षिक दीर्घा हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
संत रामानुजाचार्य का जन्म 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हुआ था। वे वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने देशभर में समानता और सामाजिक न्याय पर जोर दिया। रामानुज ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया और उनके उपदेशों ने अन्य भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया। उन्हें अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा माना जाता है। भक्तों का मानना है कि वह भगवान आदिश का अवतार थे।