कोरोना वैक्सीनेशन: क्या सभी के लिए बूस्टर डोज लगवाना जरूरी है?
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में फिर से इजाफा होने लगा है। दो महीने बाद देश में संक्रमण की दर 1 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई है। इससे पहले सरकार ने महामारी के खतरे को देखते हुए 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन की बूस्टर डोज (तीसरी खुराक या प्रिकॉशन डोज) लगवाने की अनुमति दे दी है। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या सभी के लिए वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाना जरूरी है?
क्या है बूस्टर डोज और भारत में कब से हुई थी इसकी शुरुआत?
बूस्टर डोज वैक्सीन की पहली दो खुराक ले चुके लोगों को दी जाती है। दरअसल, दो खुराकों के तीन से छह महीने में एंटीबॉडी कम होने लगती हैं और बूस्टर डोज उन्हें फिर से बढ़ाने में मदद करती है। इससे अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम हो जाता है। भारत में 10 जनवरी से स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन कर्मचारियों और अन्य गंभीर बीमारी से जूझ रहे 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर डोज लगाई जा रही है।
10 अप्रैल से सभी वयस्कों को मिली बूस्टर डोज लगवाने की अनुमति
देश में महामारी की चौथी लहर की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने गत 8 अप्रैल को आदेश जारी कर 10 अप्रैल से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को बूस्टर डोज लगवाने की अनुमति दी थी। हालांकि, वर्तमान में यह निजी वैक्सीनेशन केंद्रों पर ही लगाई जा रही है और इसके लिए अधिकतम 375 रुपये लिए जा रहे हैं। इसमें 225 रुपये बूस्टर डोज की कीमत और 150 रुपये वैक्सीनेशन केंद्रों का सेवा शुल्क शामिल है।
बूस्टर डोज के लिए जरूरी है 9 महीने का अंतर
बूस्टर खुराक के लिए दूसरी खुराक के बाद नौ महीने का अंतर जरूरी है। 29 अप्रैल को अंतर को छह महीने करने को लेकर नेशनल इम्यूनाइजेशन टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (NTAGI) की बैठक हुई थी, लेकिन इसमें इसे नौ महीने ही रखने का निर्णय किया गया।
क्या सभी के लिए जरूरी है बूस्टर डोज?
जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ और कोरोना संक्रमितों का उपचार करने वाले डॉक्टरों की विंग के सदस्य रहे डॉ विजय शर्मा ने न्यूजबाइट्स हिंदी से कहा, "वैसे तो कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बूस्टर डोज सभी के लिए फायदेमंद है, लेकिन गंभीर बीमारियों से जूझने वाले और कोरोना प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए इसे लगवाना बेहद जरूरी है।"
क्यों जरूरी है बूस्टर डोज लगवाना?
डॉ शर्मा ने कहा, "वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडीज को लेकर हुए अध्ययनों में सामने आया है कि दोनों खुराकें लगने के तीन से छह महीने के बाद एंटीबॉडी कम होने लगती हैं और नौ महीने तक कमजोर हो जाती हैं।" उन्होंने कहा, "बूस्टर डोज लगवाने के बाद एंटीबॉडी फिर से बढ़ती हैं और लोगों के फिर से संक्रमित होने पर गंभीर बीमार होने, अस्पताल में भर्ती होने या फिर मौत का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।"
कब लगवानी चाहिए बूस्टर डोज?
डॉ शर्मा ने कहा, "वैसे तो बूस्टर डोज सरकार द्वारा निर्धारित नौ महीने के अंतराल के बाद लगवा लेनी चाहिए, लेकिन यदि किसी को नौ महीने बाद तक कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं या फिर कोई परेशानी नहीं होती है तो वह थोड़ा इंतजार कर सकते हैं।" उन्होंने कहा, "गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोग, चिकित्साकर्मी, लोगों के संपर्क में रहने वाले या फिर जिन्हें संक्रमण के लक्षण नजर आने आते हैं, उन्हें तत्काल बूस्टर डोज लगवानी चाहिए।"
क्या बूस्टर डोज लगवाने के बाद दिखते हैं दुष्परिणाम?
डॉ शर्मा ने कहा, "वैक्सीन लगवाने के बाद दुष्परिणाम सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन ये गंभीर नहीं होते हैं। अधिकतर में तो दुष्परिणाम नजर ही नहीं आते हैं।" उन्होंने कहा, "बूस्टर डोज लगवाने के बाद बुखार, सिरदर्द, थकान, दर्द और इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन होना सामान्य हैं। इन्हें डॉक्टर की सलाह से दवा लेकर दूर किया जा सकता है। ऐसे में चिंता की कोई बात नहीं है। दुष्परिणाम के डर से बूस्टर डोज लगवाने से नहीं बचना चाहिए।"
बूस्टर डोज लेने वालों में तेजी से बनती हैं एंटीबॉडीज
बता दें कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और भारत बायोटेक ने बूस्टर डोज को लेकर जनवरी में एक अध्ययन किया था। इसमें सामने आया कि बूस्टर डोज के बाद एंटीबॉडीज तेजी से बनती हैं और वायरस के विभिन्न वेरिएंट्स के खिलाफ सुरक्षा मिलती है।
भारत में अब तक कितने लोगों ने लगवाई बूस्टर डोज?
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में रविवार तक कुल 2,85,94,434 लोगों ने बूस्टर डोज लगवाई है। 18-59 साल तक के 8,30,605 लोगों ने और 60 साल से अधिक उम्र के कुल 2,77,63,829 लोगों ने बूस्टर डोज लगवाई है। सोमवार को 18-59 साल तक के 49,030 और 60 साल से अधिक उम्र के 1,65,315 लोगों ने बूस्टर डोज लगवाई। बता दें कि 60 साल से अधिक उम्र वालों को बूस्टर डोज मुफ्त में लगाई जा रही है।
भारत में क्या है कोरोना संक्रमण की स्थिति?
भारत में बीते दिन कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,568 नए मामले सामने आए और 20 लोगों की मौत हुई। कम टेस्ट किए जाने के कारण थोड़े कम मामले सामने आए हैं। इसी के साथ देश में संक्रमितों की संख्या 4,30,84,913 हो गई है। इनमें से 5,23,889 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 19,137 हो गई है। देश में अब तक वैक्सीन की 1,89,41,68,295 खुराकें लगाई जा चुकी है।