निर्भया गैंगरेप केस: राष्ट्रपति ने खारिज की चौथे दोषी की दया याचिका, फांसी का रास्ता साफ
क्या है खबर?
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया गैंगरेप के दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज कर दी है।
इसी के साथ चारों आरोपियों के सारे कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं और उनकी फांसी का रास्ता साफ हो गया है।
अभी तक पवन एकमात्र ऐसा दोषी था जिसके पास कानूनी विकल्प बचे थे और इसी कारण बाकी दोषियों को भी फांसी नहीं हो पा रही थी।
दिल्ली की पटिलाया कोर्ट को जल्द ही दोषियों के डेथ वारंट पर सुनवाई करनी है।
पृष्ठभूमि
क्या है निर्भया गैंगरेप मामला?
16 दिसंबर, 2012 की रात अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही 23 वर्षीय निर्भया के साथ छह लोगों ने दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप किया था।
इलाज के दौरान निर्भया ने दम तोड़ दिया था। इस घटना के बाद देशभर में प्रदर्शन हुए थे।
मामले में कुल छह आरोपी थे। इनमें से एक नाबालिग था और एक ने जेल में आत्महत्या कर ली थी।
बाकी बचे चारों दोषियों को 2013 में फांसी की सजा सुनाई गई थी।
फांसी टालने के प्रयास
एक-एक करके याचिका दायर कर फांसी से बच रहे थे दोषी
2013 में फांसी का सजा होने के बावजूद चारों दोषियों को अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया जा सका है।
पिछले काफी समय से चारों दोषी एक-एक कर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दया याचिका दायर कर रहे हैं ताकि फांसी को टाला जा सके।
दोषियों के कानूनी विकल्प बचे होने के कारण पटियाला कोर्ट के तीन बार डेथ वारंट जारी करने के बावजूद उन्हें फांसी नहीं हो सकी।
डेथ वारंट
पटियाला कोर्ट ने लगाई है अगले आदेश तक फांसी पर रोक
पटियाला कोर्ट ने आखिरी बार दो मार्च को चारों दोषियों का डेथ वारंट रद्द किया था और अगली सुनवाई तक उनकी फांसी पर रोक लगा दी थी।
राष्ट्रपति के पास पवन गुप्ता की दया याचिका लंबित होने के कारण कोर्ट ने फांसी रोकने का फैसला लिया था।
दो मार्च की सुबह ही सुप्रीम कोर्ट ने पवन की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज की थी जिसके बाद उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी।
फांसी
अब फांसी की उलटी गिनती शुरू
पवन की दया याचिका खारिज होने के साथ ही दोषियों की फांसी की उल्टी गिनती शुरू हो गई है क्योंकि अब सभी दोषियों के कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं।
अपनी अगली सुनवाई में पटियाला कोर्ट जिस भी तारीख का डेथ वांरट जारी करेगा, वो दोषियों का अंतिम डेथ वारंट होगा।
हालांकि उसे राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने और फांसी के समय में 14 दिन का अंतर रखना होगा, जोकि नियमों के तहत अनिवार्य है।