
दिल्ली में हिंसा पर बोली हाई कोर्ट- 1984 जैसी घटना दोबारा नहीं होने दे सकते
क्या है खबर?
उत्तर-पूर्व दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा के मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि वे दिल्ली में 1984 जैसी घटना दोबारा नहीं होने दे सकते।
कोर्ट 1984 में दिल्ली में हुए सिख दंगों की तरफ इशारा कर रही थी जिसमें 3,000 से अधिक लोग मारे गए थे।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भड़काऊ भाषण देने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने पर विचार करने को भी कहा।
सुनवाई
हिंसा के दोषियों की गिरफ्तारी संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा है कोर्ट
हिंसा के दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने ये टिप्पणी की।
इस याचिका में कपिल मिश्रा पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। इसके सबूत के तौर पर मिश्रा के उस वीडियो को पेश किया गया है जिसमें वो दिल्ली पुलिस को तीन दिन के अंदर सड़कें खाली कराने का "अल्टीमेटम" दे रहे हैं। इस दौरान दिल्ली पुलिस का एक अधिकारी उनके बगल में खड़ा हुआ है।
सुनवाई
दिल्ली पुलिस और सॉलिसिटर जनरल बोले- हमने नहीं देखा कपिल मिश्रा का वीडियो
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या उन्होंने कपिल मिश्रा का ये वीडियो देखा है।
इस पर मेहता ने कहा कि वे टीवी नहीं देखते। वहीं एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के बयानों का वीडियो तो देखा है, लेकिन मिश्रा का नहीं।
इस पर हैरानी जताते हुए न्यायाधीश मुरलीधर ने मिश्रा का वीडियो चलाने का आदेश दिया।
जानकारी
हमारे होते हुए नहीं दोबारा नहीं हो सकती 1984 जैसी घटना- हाई कोर्ट
इसके बाद न्यायाधीश मुरलीधर ने कहा, "हम इस शहर में 1984 जैसी एक और घटना नहीं होने दे सकते, कम से कम इस कोर्ट के होते हुए ऐसा नहीं हो सकता। हमने सुना है कि IB अधिकारी पर भी हमला हुआ है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है।"
सॉलिसिटर जनरल से बोली कोर्ट
"पुलिस कमिश्नर को FIR दर्ज करने की सलाह दें"
हाई कोर्ट ने तुषार मेहता से कहा कि वे दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को भड़काऊ भाषण देने वाले भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ FIR करने की सलाह दें।
न्यायाधीश मुरलीधर ने कहा, "हमें यकीन है कि पुलिस कमिश्नर के कार्यालय में टीवी है। कृपया उनसे इस वीडियो क्लीप को देखने को कहिए।"
अंत में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भाजपा नेताओं के खिलाफ FIR करने पर विचार करने का आदेश दिया।
शांति बहाली की कोशिश
केंद्र और राज्य सरकार को लोगों के पास जाने की सलाह
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केद्र और राज्य सरकार को लोगों के बीच जाने और शांति बहाल करने का प्रयास करने की सलाह भी दी।
कोर्ट ने कहा, "उच्च संवैधानिक पदाधिकारी Z+ सुरक्षा में चलते हैं। ये लोगों के पास जाने और ये दिखाने का समय है कि सुरक्षा सभी के लिए है।"
कोर्ट ने आगे कहा, "अपने राजनीतिक मतभेदों को किनारे कीजिए और अपने उच्चतम पदाधिकारी को पीड़ितों के पास भेजिए।"
फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने भी की थी दिल्ली पुलिस पर सख्त टिप्पणी
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी हिंसा के दौरान पुलिस के रवैये पर सख्त टिप्पणी की थी।
कोर्ट ने कहा था, "पुलिस में प्रोफेशनलिज्म और स्वतंत्रता की कमी है। कानून के मुताबिक काम करने के लिए पुलिस किसी की अनुमति का इंतजार क्यों करती है? जब कोई भड़काऊ बयान दिया जाए, पुलिस को उसी समय कार्रवाई करनी चाहिए। दिल्ली ही नहीं हर राज्य की पुलिस को। पुलिस को ऐसे कार्रवाई करने की जरूरत है जैसे इंग्लैंड में करते हैं।"
जानकारी
हिंसा में अब तक 23 लोगों की मौत, 250 से अधिक घायल
रविवार को कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण के बाद शुरू हुई हिंसा में अब तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 250 घायल हुए हैं। मरने वालों में हेड कांस्टेबल रतनलाल और IB अधिकारी अंकित शर्मा भी शामिल हैं।