भारत में पहली बार एक नाबालिग को उम्रकैद की सजा, जानें क्या था मामला
गुरुवार को हैदराबाद की एक कोर्ट ने 17 वर्षीय नाबालिग को 11 साल के बच्चे के अपहरण, रेप और हत्या के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई। भारत में ये पहली बार है जब एक नाबालिग को उम्रकैद की कठिन सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने नए किशोर न्याय कानून को ध्यान में रखते हुए अपना फैसला सुनाया। संयोग से कोर्ट का फैसला उस दिन आया है, जब 28 जून 2017 को हुई इस घटना को ठीक 2 साल हो गए।
क्या है पूरा मामला?
जून 2017 में हुई इस घटना में 11 वर्षीय पीड़ित बच्चा सुबह अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए घर से बाहर गया और वापस नहीं आया। उसके पिता ने पूरे दिन उसे ढूढ़ा और अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। 10 दिन की खोज के बाद पुलिस के हाथ एक महत्वपूर्ण CCTV फुटेज लगा। बरकस के बड़ी मस्जिद इलाके के इस वीडियो में बच्चे को आरोपी के साथ देखा। पुलिस ने इसके आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया।
कबूतर दिखाने के बहाने बच्चे को छत पर ले गया नाबालिग
अपना अपराध कबूल करते हुए आरोपी लड़के ने बताया कि इलाके का दृश्य दिखाने के लिए वह बच्चे को बरकस स्थित लड़कों के सरकारी हाई स्कूल की छत पर ले गया था। बच्चे को कबूतर देखने का बहुत शौक था। आरोपी ने यहां बच्चे का रेप करके उसकी हत्या कर दी। उसने बच्चे के हाथ-पैरों को कपड़े से बांधकर उसे प्रताड़ित किया। लोहे की एक छड़ से उसके सिर पर प्रहार किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
किशोर न्याय बोर्ड से बाल अदालत भेजा गया मामला
आरोपी लड़के ने लोहे की छड़ और बच्चे की चप्पलों को छत पर स्थित पानी की एक टंकी के पास छोड़ दिया। पुलिस ने उसके खिलाफ IPC की धारा 364, 377, 302 और 201 और POCSO कानून की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया। पहले उस पर किशोर न्याय बोर्ड में मामला चला, लेकिन फिर वयस्क के तौर पर मामले चलाने के लिए केस हैदराबाद के भरोसा केंद्र स्थित बाल अदालत में भेज दिया गया।
किशोर न्याय कानून की धारा 21 के आधार पर फैसला
कोर्ट ने किशोर न्याय कानून की धारा 21 के आधार पर अपना फैसला सुनाया। फैसले में कहा गया, "धारा 21 को ध्यान में रखते हुए ये पूरी तरह साफ है कि एक अपराधी बच्चे को 3 साल से ज्यादा की सजा सुनाई जा सकती है।"
क्या है किशोर न्याय कानून?
पहले किशोर न्याय कानून के तहत अपराध करने वाले 18 साल तक के नाबालिगों को अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती थी और उन्हें जेल की बजाय बाल सुधार गृह में रखा जाता था। निर्भया गैंग रेप में दोषी नाबालिग को भी इसी कानून के मुताबिक सजा दी गई थी। मोदी सरकार ने 2015 में इस कानून में बदलाव किया और अब 16-18 साल के नाबालिगों को जघन्य अपराधों के लिए वयस्कों की तरह सजा दी जा सकती है।