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आज लोकसभा में पेश होगा नया तीन तलाक बिल, भाजपा की सहयोगी JD(U) नहीं देगी साथ

आज लोकसभा में पेश होगा नया तीन तलाक बिल, भाजपा की सहयोगी JD(U) नहीं देगी साथ

Jun 21, 2019
11:35 am

क्या है खबर?

आज नए तीन तलाक बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2019 को लोकसभा में पेश करेंगे। ये बिल मौजूदा तीन तलाक अध्यादेश की जगह लेगा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी इस बिल को संसद में पेश किया गया था, लेकिन राज्यसभा से पारित न होने के कारण ये रद्द हो गया था। बिल पर आज लोकसभा में हंगामे के आसार हैं।

पृष्ठभूमि

क्या है तीन तलाक बिल?

तीन तलाक बिल में तत्काल तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत को कानूनी अपराध बनाते हुए 3 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तत्काल तीन तलाक को अवैध घोषित किया था और केंद्र सरकार को इस पर कानून लाने को कहा था। मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) नाम से बिल लाई, जो 4 घंटे की बहस के बाद लोकसभा में पारित हुआ।

तीन तलाक अध्यादेश

एक साल में तीन अध्यादेश लाई मोदी सरकार

मोदी सरकार बिल को राज्यसभा में पेश नहीं कर पाई और पिछली लोकसभा भंग होने के साथ ही ये रद्द हो गया। बिल के संसद में फंसने के बीच सरकार इस पर अध्यादेश पर अध्यादेश लाती रही। केंद्र सरकार पिछले एक साल में तीन तलाक पर 3 बार अध्यादेश ला चुकी है। अंतिम अध्यादेश लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लाया गया था और 21 फरवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद इसे जारी किया गया।

बयान

राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी आया था तीन तलाक का जिक्र

कल संसद के संयुक्त सत्र को अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने तीन तलाक को कुरीति बताया था। उन्होंने कहा था, "देश की हर बहन और बेटी के अधिकारों की रक्षा के लिए तीन तलाक और निकाह हलाला जैसी सामाजिक बुराइयों को मिटाने की जरूरत है।"

विरोध

सहयोगी JD(U) नहीं देगी बिल पर समर्थन

राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद अब तीन तलाक बिल को लोकसभा में पेश किया जएगा। बिल के विवादित मुद्दे को देखते हुए इस पर लोकसभा में हंगामे के आसार है। कांग्रेस बिल के खिलाफ है और उसने अपने घोषणापत्र में इसे रद्द करने का वादा किया था। भारतीय जनता पार्टी की NDA सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) भी बिल का विरोध करने का ऐलान कर चुकी है। हालांकि सरकार को इसे लोकसभा में पारित कराने में कोई मुश्किल नहीं होनी चाहिए।