देसी कट्टों से लेकर तलवार तक, दिल्ली हिंसा में इस्तेमाल हुए थे ये हथियार
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में रविवार से शुरू हुई हिंसा में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग घायल हैं। ज्यादातर घायलों का इलाज गुरु तेग बहादुर (GTB) और जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में चल रहा है। यहां के डॉक्टरों ने बताया कि घायलों को गोली लगने, तेज धार हथियार, लोहे की रॉड, झुलसने और भारी चीजों से मारने के कारण चोटें आई हैं। 14 लोगों की मौत गोली लगने से हुई है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से दिल्ली लाए गए हथियार- पुलिस
अपनी आंखों से इस सांप्रदायिक हिंसा को देखने वाले लोगों ने बताया कि भीड़ देसी कट्टे, तलवार, हथौड़े, दरांती, बेसबॉल बैट, डंडे और बड़े-बड़े पत्थर हाथ में लेकर घूम रही थी। पुलिस का मानना है कि हिंसा के दौरान इस्तेमाल किए गए देसी कट्टे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों से दिल्ली लाए गए थे। वहीं हिंदुस्तान टाइम्स ने भीड़ में शामिल नकाब पहने लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि वो शामली और मुजफ्फरनगर से आए हैं।
"दिल्ली की सीमा सील होती तो न बिगड़ते हालात"
जाफराबाद में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि अगर हिंसा के पहले दिन ही उत्तर प्रदेश से लगती दिल्ली की सीमा को सील कर दिया जाता तो हालात इतने खराब नहीं होते। हिंसा के 40 घंटे बाद यह काम किया गया। उन्होंने बताया कि दिल्ली में बंदूकों की फैक्ट्री नहीं है। यहां जितने भी गैर-कानूनी पिस्तौल इस्तेमाल हुए हैं सब बाहर से तस्करी कर लाए गए हैं।
अवैध रूप से आसानी से उपलब्ध होते हैं देसी कट्टे
पिछले साल दिसंबर में दिल्ली पुलिस ने एक मामले का पर्दाफाश किया था, जिसमें पता चला कि मेरठ, शामली और मुजफ्फरनगर जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में देसी कट्टे महज 3,000-5,000 रुपये में मिल जाते हैं।
पत्थर लगने से DCP को आई गंभीर चोट
बंदूकों के अलावा दंगाई पत्थरों का भी इस्तेमाल कर रहे थे। हिंसा में शहीद हुए दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल को भी पत्थरबाजी में चोट लगी थी। हालांकि, उनकी मौत गोली लगने के कारण हुई थी। DCP अमित शर्मा को भी पत्थर लगने से सिर में गंभीर चोट आई है। फिलहाल वो अस्पताल में भर्ती हैं। भीड़ ने कई घरों पर भी पत्थरबाजी कर नुकसान पहुंचाया है।
मौजपुर में ट्रक में भरकर लाए गए थे पत्थर- प्रत्यक्षदर्शी
मौजपुर में रहने वाले एक निवासी ने बताया, "रविवार रात को यहां ट्रक में भरकर पत्थर लाए गए थे। ये लोग बाहर से आए थे। हमने उनके वीडियो रिकॉर्ड किए हैं। सोच-समझकर हम पर हमला किया गया था। न्यू जाफराबाद रोड पर दंगाइयों ने कंक्रीट से बने डिवाइडर को तोड़ दिया और इसके पत्थर और इसमें लगाई गई लोहे की रॉड को हथियारों के रूप मेें इस्तेमाल किया। जाफराबाद से ही हिंसा की शुरुआत हुई थी।
झुलसने के कारण हुई तीन लोगों की मौत
दंगाइयों ने पेट्रोल बम और तलवारों की भी इस्तेमाल किया था। चांद बाग में भीड़ ने पेट्रोल बमों का भरपूर इस्तेमाल किया। पुलिस का मानना है कि दंगाइयों ने कबाड़ियों के पास से खाली बोतलें उठाई और इनमें पेट्रोल भरा। हिंसा में कम से कम तीन लोगों की झुलसने से मौत हुई है। सोशल मीडिया पर भी कई वीडियो वायरल हुए थे, जिनमें देखा जा सकता था कि दंगाई मोटरसाइकिल पर बैठकर हथियार लहराते हुए सड़कों पर घूम रहे थे।
नुकीले हथियारों का इस्तेमाल आम- पूर्व पुलिस अधिकारी
दिल्ली पुलिस में तीन दशक से ज्यादा समय तक काम कर चुके पूर्व DCP एलएन राव ने बताया कि जिस इलाके में हिंसा हुई वहां की ज्यादातर युवा आबादी बेरोजगार है। आकंड़ों से पता चलता है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों के युवा अपराधिक गतिविधियों में शामिल रहते हैं और लोगों को लूटने के लिए चाकू और ब्लेड का इस्तेमाल इनके लिए आम है। लोग अपने घरों में पत्थर, कांच की खाली बोतलें और ईंटे जमा कर रखते हैं।
पुलिस ने दर्ज की 18 FIR
पुलिस ने इस हिंसा के संबंध में अभी तक 18 FIR दर्ज की है और 106 लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि इनसे पूछताछ में यह भी पता लगाया जाएगा कि वो हथियार कहां से लाए थे।