निर्भया केस: दोषियों के पास है सात दिन का समय, नहीं तो जल्द दी जाएगी फांसी
क्या है खबर?
देश को झकझोर देने वाले निर्भया रेप मामले में मौत की सजा पाए चारों दोषियों के पास एक ऐसा नोटिस पहुंचा है जिससे उनकी नींद उड़ गई है।
इस नोटिस में दोषियों से कहा गया है कि वो या तो सात दिन के अंदर राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करें या फिर उनकी फांसी की सजा पर अमल किया जाएगा।
बता दें कि चारों आरोपियों ने अभी तक राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर नहीं की है।
बयान
दोषियों द्वारा दया याचिका दायर करने का इंतजार कर रहा था जिला प्रशासन
चारों दोषियों को थमाए गए इस नोटिस के बारे में बात करते हुए तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया, "चारों दोषियों को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा-ए-मौत पर दिल्ली हाई कोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट मुहर लगा चुकी हैं।"
उन्होंने कहा, "जेल प्रशासन को उम्मीद थी कि चारों दोषी वक्त और सुविधा के अनुसार सजा-ए-मौत के खिलाफ शायद राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल कर देंगे। मगर अभी तक किसी ने यह कदम नहीं उठाया है।"
प्रक्रिया
दया याचिका दायर न करने पर जारी हो सकता है डेथ वारंट
इसी कारण अब जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को नोटिस भेजकर साफ कर दिया है कि अगर वो राष्ट्रपति के सामने दया याचिका पेश करना चाहते हैं तो सात दिन के अंदर ऐसा करें नहीं तो जो भी कानूनी कार्यवाही बनती है वो अमल में लाई जाएगी।
संदीप ने कहा कि अगर चारों दोषी दया याचिका दायर नहीं करते तो जेल प्रशासन इसके बारे में ट्रायल कोर्ट को सूचित करेगा, जो दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करेगी।
जानकारी
डेथ वारंट का मतलब जल्द होगी फांसी
डेथ वारंट का मतलब होगा कि दोषियों को जल्द ही फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा। इस संभावना को देखते हुए चारों दोषियों की नींद उड़ गई है। बता दें कि चार में से तीन दोषी तिहाड़ और एक मंडोली जेल में बंद है।
निर्भया रेप केस
क्या हुआ था 16 दिसंबर, 2012 की रात?
16 दिसंबर, 2016 की रात अपने दोस्त के साथ 'लाइफ ऑफ पाई' देखकर लौट रही 23 वर्षीय छात्रा के साथ छह लोगों ने चलती बस में गैंगरेप किया था।
आरोपियों ने इस दौरान हैवानियत की सारे हदें पार कर दी थीं और बुरी तरह से घायल छात्रा और उसके दोस्त को सड़क किनारे फेंक कर भाग गए थे।
छात्रा का पहले सफदरजंग अस्पताल में इलाज चला, लेकिन कुछ दिन बाद सिंगापुर शिफ्ट कर दिया जहां उसकी मौत हो गई।
जानकारी
दिल्ली में हुआ था बड़ा आंदोलन
निर्भया के साथ हुई हैवानियत सामने आने के बाद दिल्ली में लोगों ने राष्ट्रपति भवन के सामने बड़ा प्रदर्शन किया, जिसने जल्द ही आंदोलन का रूप ले लिया। देश के बाकी हिस्सों में भी दोषियों को फांसी की सजा देने के लिए प्रदर्शन हुए थे।
कानूनी कार्रवाई
एक आरोपी ने लगाई फांसी, एक नाबालिग होने के कारण कठोर सजा से बचा
मामले में दिल्ली पुलिस ने कुछ दिनों के अंदर ही बस ड्राइवर राम सिंह, उसके भाई मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता, बस के हेल्पर अक्षय सिंह और एक 17 वर्षीय नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया था।
राम सिंह ने मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, वहीं नाबालिग आरोपी को किशोर न्याय अधिनियम के तहत तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा गया था।
सजा
बाकी चार दोषियों को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा
बाकी चारों आरोपियों पर दिल्ली स्थित ट्रायल कोर्ट में फास्ट ट्रैक सुनवाई की गई और 13 सितंबर, 2013 को चारों को फांसी की सजा सुनाई गई।
इसके बाद दोषियों ने पहले दिल्ली हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में फांसी के फैसले को चुनौती दी, लेकिन दोनों ने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा।
इसके बाद दोषियों के पास केवल राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर करने का विकल्प था, जिस पर उन्होंने अभी तक अमल नहीं किया है।