निर्भया केस: तिहाड़ जेल के पूर्व अधिकारी का दावा, आरोपी राम सिंह की हुई थी हत्या
क्या है खबर?
निर्भया गैंगरेप केस में दिल्ली की तिहाड़ जेल के पूर्व अधिकारी ने सनसनीखेज दावा किया है।
सुनील गुप्ता नामक इस पूर्व अधिकारी ने अपनी किताब में तिहाड़ जेल में फांसी लगाने वाले गैंगरेप के आरोपी राम सिंह की मौत को लेकर संदेह जाहिर किया है।
अपने संदेह के पक्ष में कुछ तथ्य पेश करने हुए उन्होंने कहा है कि इस बात की पूरी संभावना है कि राम सिंह ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उसकी हत्या की गई थी।
पृष्ठभूमि
क्या हुआ था 16 दिसंबर, 2012 की रात?
16 दिसंबर, 2016 की रात अपने दोस्त के साथ 'लाइफ ऑफ पाई' देखकर लौट रही 23 वर्षीय छात्रा के साथ छह दोषियों ने चलती बस में गैंगरेप किया था।
दोषियों ने इस दौरान हैवानियत की सारे हदें पार कर दी थीं और बुरी तरह से घायल छात्रा और उसके दोस्त को सड़क किनारे फेंक कर भाग गए थे।
छात्रा का पहले सफदरजंग अस्पताल में इलाज चला, लेकिन कुछ दिन बाद सिंगापुर शिफ्ट कर दिया जहां उसकी मौत हो गई।
कार्रवाई
चार दोषियों को हुई फांसी की सजा, एक निकला नाबालिग
निर्भया के साथ हुई हैवानियत सामने आने के बाद दिल्ली में बड़ा आंदोलन हुआ था।
पुलिस ने कुछ ही दिनों में मामले के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, जिसमें एक नाबालिग भी शामिल था।
नाबालिग को किशोर न्याय अधिनियम के तहत तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा गया था और वो अब वहां से बाहर निकल चुका है।
बाकी चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।
किताब
गुप्ता ने कहा- पुलिस को दर्ज करनी चाहिए थी FIR
वहीं मामले के मुख्य आरोपी राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
अब उस समय तिहाड़ जेल के लॉ अधिकारी रहे सुनील गुप्ता ने अपनी किताब 'ब्लैक वारंट: कंफेशन्स ऑफ ए तिहाड़ जेलर' में राम सिंह की आत्महत्या पर शक जाहिर किया है।
गुप्ता ने लिखा है कि मामले में पुलिस को FIR दर्ज करनी चाहिए थी क्योंकि राम सिंह की विसरा रिपोर्ट में उसके शरीर में शराब पाई गई थी।
सवाल
गुप्ता का सवाल- कैदी के पास शराब कहां से आई?
राम सिंह के शरीर में शराब की मौजूदगी पर सवाल खड़े करते हुए गुप्ता लिखते हैं, 'इसका कोई लिखित सबूत नहीं है और मेरे पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी नहीं है, लेकिन मेरा मानना है कि राम सिंह ने खुद को नहीं मारा।'
उन्होंने आगे लिखा, 'जो विसरा रिपोर्ट मैंने देखी उसमें उसके शरीर में शराब होने की बात लिखी थी। केवल इसी से उसकी मौत पर संदेह पैदा होना चाहिए था। एक कैदी के पास शराब कहां से आई?'
दूसरी वजह
छत की ऊंचाई ने भी पैदा किया शक
दूसरा तर्क देते हुए गुप्ता ने लिखा है कि उन्हें जिस छत से राम सिंह को लटका हुआ पाया गया था, उसकी ऊंचाई के कारण भी उन्हें शक होता है कि उसकी हत्या की गई थी।
उनके अनुसार, 'वो छत कम से कम 12 फुट ऊंची थी। ये देखते हुए कि उस कोठरी में उसके साथ तीन कैदी और थे, मेरे हिसाब से ये संभव नहीं कि राम सिंह चुपचाप फांसी लगाने में कामयाब हो सके।'
बयान
गुप्ता का दावा, शराब पिलाकर राम सिंह को फांसी पर लटकाया गया
गुप्ता ने आगे लिखा है, 'उसने फांसी लगाने के लिए अपने पजामे का इस्तेमाल किया था। उसके पास एक प्लास्टिक की बाल्टी थी। मुझे लगता है कि पहले उसे शराब पिलाई गई और फिर फांसी पर लटका दिया गया।'
आश्चर्य
"बाकी चार दोषी कैसे जिंदा बच गए, पता नहीं"
गुप्ता ने अपनी किताब में गैंगरेप के अन्य चार दोषियों के तिहाड़ जेल में जिंदा बचे रहने पर भी आश्चर्य व्यक्त किया है।
उन्होंने लिखा है, 'मुझे पता है कि जब वो पहली बार जेल आए तो उन्हें बुरी तरह पीटा गया, लेकिन वो लिंचिंग से कैसे बचे ये मेरी समझ से बाहर है।'
तत्कालीन जेल महानिदेशक विमला मेहरा पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने लिखा है कि उन्हें दोषियों की लिंचिंग से भी कोई दिक्कत नहीं थी।
प्रतिक्रिया
मेहरा ने किया गुप्ता के दावों को खारिज
गुप्ता के दावों को खारिज करते हुए विमला मेहरा ने कहा है कि राम सिंह की हत्या हुई थी, ये मानने का कोई कारण नहीं था।
उन्होंने कहा, "मैं हैरान हूं कि गुप्ता ने ये लिखा है। जहां सिंह ने फांसी लगाई थी, मैं वहां गई थी। इस बात को साबित करने का कोई सबूत नहीं था कि उसकी हत्या हुई थी।"
उन्होंने कहा कि गुप्ता ने अवश्य ही अपनी किताब को बेचने के लिए ये बातें लिखी हैं।