स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का देश के नाम संबोधन, जानें अहम बातें
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का देश के नाम संबोधन शुरू हो गया है। बतौर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पहली बार देश को संबोधित कर रही हैं। देश इस साल अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और उनके संबोधन में देश के गौरवशाली सफर की झलक दिख सकती है। यह परंपरा रही है कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हर साल राष्ट्रपति देश के नाम संबोधन देते हैं। आइये संबोधन की बड़ी बातें जानते हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर शुरू किया संबोधन
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन की शुरुआत में स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। भारत को यह श्रेय जाता है कि उसने दुनिया को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता से परिचित करवाया। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव देशवासियों को समर्पित है। हर आयुवर्ग के लोग इस महोत्सव के कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। आज देश के हर कोने में तिरंगा शान से लहरा रहा है।
2047 तक स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार कर लेंगे- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, "पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को 'जन-जातीय गौरव दिवस' के रूप में मनाने का सरकार का निर्णय स्वागत-योग्य है। हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।" उन्होंने आगे कहा, "हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे।"
कोरोना वैक्सीनेशन अभियान को सराहा
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "हमने देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने हमने 200 करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है। इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से अच्छी रही है।" उन्होंने आगे कहा, जब दुनिया महामारी के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी, तब भारत ने खुद को संभाला और अब तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
देश के आत्मविश्वास का स्त्रोत हैं महिलाएं- राष्ट्रपति
देश के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत के नए आत्म-विश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और सबसे बढ़कर देश की महिलाएं हैं। उन्होंने कहा, "महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या 14 लाख से कहीं अधिक है।"
पर्यावरण के सामने आ रही चुनौतियों का किया जिक्र
राष्ट्रपति मूर्मु ने कहा, "आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है।"
सब कुछ देश के लिए अर्पण करने का संकल्प लेना चाहिए- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने कहा कि देश में आज शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरे क्षेत्रों में बदलाव दिख रहे हैं, उनके मूल में सुशासन पर बल दिए जाने की प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहा, "हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए। हमारे अस्तित्व की सार्थकता एक महान भारत के निर्माण में ही दिखाई देगी।"