किसान आंदोलन में शामिल होने पहुंची 'शाहीन बाग की दादी', पुलिस ने हिरासत में लिया
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के विरोध में शाहीन बाग में पिछले साल दिसंबर में शुरू हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान 'शाहीन बाग की दादी' के नाम से मशहूर हुई 82 वर्षीय बिल्किस बानो अब किसानों के आंदोलन में शामिल होने पहुंची थीं। मंगलवार को वह किसानों के आंदोलन में शामिल होने के लिए सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पहुंची, लेकिन दोपहर में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
बिल्किस बानों ने खुद को बताया किसान की बेटी
किसानों के आंदोलन में शामिल होने के लिए सिंघु बॉर्डर पहुंचने के बाद बिल्किस बानों ने खुद को किसान की बेटी बताया। उन्होंने मीडिया से बात कहते हुए कहा, "हम किसानों की बेटियां हैं और हम आज किसानों के विरोध का समर्थन करेंगी। हम हमारे हक के लिए अपनी आवाज उठाएंगे, सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि वह इस मामले के निराकरण के लिए किसानों के साथ सरकार से वार्ता करेंगी।
आंदोलन में शामिल होने जाती हुईं बिल्किस बानो
शाहीन बाग के प्रदर्शन के दौरान सुर्खियों में आई थीं बिल्किस बानो
बता दें कि CAA और NRC के विरोध में पिछले साल 15 दिसंबर से शाहीन बाग में विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ था। इससे लोगों को खासी परेशानी हुई थी। उस दौरान बिल्किस बानो भी वहां नजर आई थीं। वह सुबह से रात तक धरना देती दिखाई देती थीं। उनके जुझारूपन के कारण उन्हें 'शाहीन बाग की दादी' का तमगा मिला था। उनके पति की 11 साल पहले मौत हो गई थी और वह शाहीन बाग में पुत्रवधू के साथ रहती हैं।
टाइम मैग्जीन में हुआ था बिल्किस बानो का जिक्र
टाइम मैग्जीन की पत्रकार राणा अयूब ने अपने लेख में बिल्किस बानो का खास तौर से जिक्र किया था। उन्होंने बताया था कि कैसे बिल्किस बानो दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड में प्रदर्शन स्थल पर डटी रहीं और शाहीन बाग प्रदर्शन में लोगों की आवाज बन गई। इतना ही नहीं, टाइम मैगजीन की साल 2020 में 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में भी बिल्किस बानो का नाम शामिल किया है। इस पर उन्होंने खुशी भी जताई थी।
इन कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं किसान
बता दें कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020, और आवश्यक वस्तु (संशोधन) पर किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अधिनियम, 2020 लेकर आई है। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इनका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।