झारखंड को केंद्र सरकार का बड़ा झटका, खारिज किया सूखा राहत का प्रस्ताव
झारखंड सरकार को केंद्र सरकार ने बड़ा झटका दे दिया है। केंद सरकार ने झारखंड सरकार की ओर से किसानों को राहत देने के लिए राज्य के सात जिलों के 55 ब्लॉकों को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इससे सूखे की मार झेल रहे राज्य के सात लाख किसानों की मुआवजा मिलने की उम्मीदें धूमिल हो गई है। अब इन किसानों को सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिल पाएगी।
झारखंड सरकार ने सात जिलों के लिए बनाकर भेजा था प्रस्ताव
HT के अनुसार आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव मनीष तिवारी ने बताया कि सरकार ने अप्रैल में राज्य के बोकारो, चतरा, पाकुड़, देवघर, गिरिडीह, गोड्डा और हजारीबाग जिले के 55 ब्लॉकों को सूखा क्षेत्र माना था। इस पर सरकार ने इन ब्लॉकों को सूखाग्रस्त घोषित करते हुए यहां के साल लाख किसानों को राहत देने का प्रस्ताव तैयार कर मई में केंद्र सरकार को भेजा था, लेकिन अब केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
सूखाग्रस्त ब्लॉकों के किसानों को अब नहीं मिलेगा मुआवजा
संयुक्त सचिव तिवारी ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। ऐसे में अब सूखाग्रस्त 55 ब्लॉकों के किसानों को कोई मुआवजा नहीं मिल पाएगा। उन्होंने बताया कि सूखा क्षेत्र के किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पैकेज जारी किया जाता है। अब जब उन्हें केंद्र से ही राहत पैकेज नहीं मिला तो वह किसानों को कैसे दे पाएंगे। इसका खामियाजा किसानों को भुगतना होगा।
प्रक्रिया समाप्त होने के बाद भेजा प्रस्ताव
केंद्र के अधिकारियों ने बताया कि राज्यों द्वारा सूखाग्रस्त घोषित करने की प्रक्रिया 31 अक्टूबर, 2019 को समाप्त हो गई थीं और झारखंड सरकार ने उसके बाद प्रस्ताव बनाकर भेजा था। ऐसे में केंद्र सरकार ने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
पहले ही छोड़ दी थी मुआवजा मिलने की उम्मीद- प्रभावित किसान
सूखाग्रस्त क्षेत्र बोकारो के 45 वर्षीय किसान राहू महतो ने कहा कि उन्होंने अपनी फसल के नुकसान का मुआवजा मिलने की उम्मीद बहुत पहले ही छोड़ दी थीं। उन्होंने कहा कि उनकी फसलें गत वर्ष अगस्त-सितंबर में खराब हुई थी, लेकिन सरकार ने उसके मुआवजे के लिए इस साल मई में प्रस्ताव बनाकर भेजा है। उन्होंने दो एकड़ में चावल की फसल बोयी थी, लेकिन बारिश की कमी के कारण वह खराब हो गई। अब कोई उम्मीद नहीं है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा पर लगाया प्रस्ताव में देरी का आरोप
राज्य की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि पिछली भाजपा सरकार ने न तो सूखे की घोषणा की और न ही सूखे की सिफारिश करने की समय सीमा का ध्यान रखा। ऐसे में समय सीमा समाप्त होने के बाद प्रस्ताव भेजा गया। उन्होंने कहा कि उस दौरान चुनाव का समय था तो तत्कालीन भाजपा सरकार इसकी ब्रांडिंग में लगी हुई थी। किसान भाजपा सरकार की प्राथमिकता सूची में थे ही नहीं।
भाजपा ने वर्तमान सरकार को ठहराया जिम्मेदार
झारखंड भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने किसानों के नुकसान के लिए वर्तमान झामुमो-कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण सूखा प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा जा सका था। जनवरी में आचार संहिता हटने के बाद वर्तमान सरकार ने इसका अनुसरण किया होगा। अगर हेमंत सोरेन सरकार ने जनवरी या फरवरी में प्रस्ताव भेजा होता तो किसानों को नुकसान नहीं होता।