
प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष से लौटने पर शुभांशु शुक्ला का किया स्वागत, एक्स पर किया पोस्ट
क्या है खबर?
एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) गए शुभांशु शुक्ला समेत 3 अन्य अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर सुरक्षित वापस लौट आए हैं। स्पेस-X के ड्रैगन अंतरिक्ष यान से चारों यात्री आज शाम करीब 3:00 बजे भारतीय समयानुसार कैलिफोर्निया के तट पर उतरे। इस लैंडिंग के साथ ही शुक्ला ने अंतरिक्ष में 18 दिन का अपना ऐतिहासिक मिशन पूरा किया। वह ISS में रहने और काम करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं।
स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी ने किया स्वागत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत किया। उन्होंने लिखा, 'मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूं, क्योंकि वह अपने ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से पृथ्वी पर लौट रहे हैं।' प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'उन्होंने अपने समर्पण, साहस और अग्रणी भावना से करोड़ों सपनों को प्रेरित किया है। यह हमारे मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान की दिशा में एक और मील का पत्थर है।'
ट्विटर पोस्ट
यहां देखें पोस्ट
I join the nation in welcoming Group Captain Shubhanshu Shukla as he returns to Earth from his historic mission to Space. As India’s first astronaut to have visited International Space Station, he has inspired a billion dreams through his dedication, courage and pioneering…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 15, 2025
अन्य
प्रधानमंत्री ने पहले भी जताया था गर्व
शुक्ला के मिशन शुरू करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पहले भी उनसे बात की थी। उन्होंने कहा था, '140 करोड़ भारतीयों की भावनाएं आपके साथ जुड़ी हुई हैं। जब आप हमारे राष्ट्रीय ध्वज को अंतरिक्ष में ले जा रहे हैं, तो मैं आपको हार्दिक बधाई देता हूं और आपके मिशन के लिए शुभकामनाएं देता हूं।' प्रधानमंत्री ने इसे युवाओं के लिए एक नई और आशाजनक शुरुआत बताया था, जिससे उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
मिशन
गगनयान के लिए उपयोगी रहा मिशन
शुक्ला की एक्सिओम-4 उड़ान भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के लिए अत्यंत मूल्यवान साबित हुई। मिशन के दौरान प्राप्त अनुभव से गगनयान मिशन में बहुत मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरिक्ष यान संचालन, चालक दल की निगरानी और कम गुरुत्वाकर्षण के अध्ययन में भारत को व्यावहारिक समझ मिली है। इस मिशन के लिए ISRO ने करीब 550 करोड़ रुपये निवेश किए थे, जिसे तकनीकी परीक्षण और प्रशिक्षण का हिस्सा माना जा रहा है।