
एक्सिओम-4 मिशन: अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला कौन-कौन से प्रयोग करेंगे?
क्या है खबर?
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला मई के अंत में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर 14 दिवसीय मिशन के लिए रवाना होंगे।
वह एक्सिओम-4 मिशन के तहत अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष में जाएंगे। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का संयुक्त प्रयास है।
इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में जीवन, कृषि और जैव प्रौद्योगिकी से जुड़े कई प्रयोगों को अंजाम देना है।
अध्ययन
टार्डिग्रेड्स और सायनोबैक्टीरिया पर होगा बारीकी से अध्ययन
शुक्ला अंतरिक्ष में पानी के भालू कहे जाने वाले टार्डिग्रेड्स की जीवित रहने की क्षमता पर अध्ययन करेंगे। यह प्रयोग बताएगा कि वे सूक्ष्मगुरुत्व में कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।
इसके अलावा, सायनोबैक्टीरिया नामक पानी के बैक्टीरिया पर भी अध्ययन किया जाएगा, जो अंतरिक्ष में ऑक्सीजन और पोषक तत्त्वों के पुनर्चक्रण में मददगार साबित हो सकते हैं।
ये दोनों ही शोध लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।
शोध
अंतरिक्ष में फसलें उगाने और शैवाल की वृद्धि पर भी होगा शोध
शुक्ला ISS में सूक्ष्मशैवाल की वृद्धि और चयापचय का भी अध्ययन करेंगे, ताकि अंतरिक्ष में खाद्य स्रोत विकसित किए जा सकें।
इसके अलावा, वे सलाद जैसी फसलों के बीजों के अंकुरण पर भी शोध करेंगे। इस प्रयोग में पौधों की पोषण गुणवत्ता, पीढ़ियों में अनुकूलन और माइक्रोब के साथ उनकी प्रतिक्रियाएं ठीक से जांची जाएंगी।
ये अध्ययन भविष्य में चंद्रमा और मंगल मिशनों के लिए काफी अहम हो सकते हैं।
अन्य
मांसपेशियों पर असर और डिजिटल इंटरफेस पर भी नजर
कम गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों के कमजोर होने की समस्या को लेकर भी एक प्रयोग होगा, जिसमें सप्लीमेंट्स के असर की जांच की जाएगी।
इसके अलावा, शुक्ला अंतरिक्ष में कंप्यूटर सिस्टम और डिस्प्ले के प्रयोग पर भी अध्ययन करेंगे।
इस प्रयोग के दौरान आंख-हाथ समन्वय, संकेत देने की क्षमता और डिजिटल स्क्रीन से जुड़ी समस्याओं को समझा जाएगा, जिससे भविष्य में अंतरिक्ष यान डिजाइन और कार्यशैली में सुधार किया जा सके।