
अंतरिक्ष में हड्डियों, मांसपेशियों और दिल की धड़कन पर क्या पड़ता है असर?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष का वातावरण पृथ्वी से बहुत अलग होता है। वहां ना हवा होती है, ना पानी और ना ही गुरुत्वाकर्षण। अंतरिक्ष यात्री खास सूट पहनकर रहते हैं और हर दिन खास नियमों का पालन करते हैं। बिना गुरुत्वाकर्षण के शरीर को चलाना आसान लगता है, लेकिन यही सुविधा कई परेशानियां भी लाती है। आइए जानते हैं कि अंतरिक्ष में हड्डियों, मांसपेशियों और दिल की धड़कन पर क्या असर पड़ता है।
#1
धीरे-धीरे घटती है हड्डियों की ताकत
जब इंसान अंतरिक्ष में होता है, तो उसकी हड्डियों पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां शरीर को वजन उठाने की जरूरत नहीं होती। इससे हड्डियों की ताकत धीरे-धीरे कम होने लगती है। अध्ययन से पता चला है कि अंतरिक्ष में हर महीने लगभग 1-2 प्रतिशत हड्डियों का घनत्व घट जाता है। लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और धरती पर लौटने के बाद उनमें टूटने का खतरा भी बढ़ सकता है।
#2
मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होने लगती है
गुरुत्वाकर्षण नहीं होने के कारण शरीर को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। इससे मांसपेशियों का इस्तेमाल बहुत कम होता है और वे धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगती हैं। पैरों और पीठ की मांसपेशियों पर खास असर पड़ता है, क्योंकि उन्हें चलने और खड़े रहने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर एक्सरसाइज न की जाए तो शरीर जल्दी थकने लगता है, ताकत कम हो जाती है और लंबी अंतरिक्ष यात्रा में यह खतरा और भी अधिक बढ़ जाता है।
#3
दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर में आते हैं बदलाव
अंतरिक्ष में खून का बहाव ऊपर की ओर बढ़ता है, जिससे चेहरे फूल जाते हैं और दिल को खून पंप करने में कम मेहनत लगती है। इससे दिल की मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर हो सकती हैं और धड़कन की गति में बदलाव आ सकता है। इसके अलावा, ब्लड प्रेशर भी असामान्य हो सकता है, जिससे धरती पर लौटते समय शरीर को दोबारा सामान्य स्थिति में आने में काफी वक्त लग सकता है।