यूक्रेन संकट के समाधान के लिए अपने संपर्क इस्तेमाल कर रहे प्रधानमंत्री मोदी- ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को कहा कि क्वाड देशों ने यूक्रेन युद्ध पर भारत के रूख को स्वीकार कर लिया है और कोई भी देश नाखुश नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युद्ध को खत्म करने के लिए अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बीच कुछ राजनियक सूत्रों ने भी कहा है कि यूक्रेन युद्ध पर भारत का रूख 1957 की तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की नीति से प्रेरित है।
क्वाड देशों में केवल भारत ने नहीं की रूस की आलोचना
बता दें कि क्वाड देशों (अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया) में भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की आलोचना नहीं की है। हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र (UN) और इससे संबंधित संगठनों में हुई वोटिंग में भी भारत अनुपस्थिति रहा है। इसके अलावा अमेरिका प्रतिबंधों के बावजूद वह रूस से सस्ते में कच्चा तेल भी खरीद रहा है। भारत के इस रूख को लेकर कुछ पश्चिमी देशों में नाराजगी देखने को मिल रही है।
ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बोले- क्वाड देशों ने भारत के रूख को स्वीकारा
भारत के इस रूख के बारे में जब भारत में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फारेल से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "क्वाड देशों ने भारत के रुख को स्वीकार कर लिया है। हम समझते हैं कि हर देश के अपने द्विपक्षीय संबंध हैं। विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री मोदी की खुद की टिप्पणियों से यह स्पष्ट है कि उन्होंने यूक्रेन संकट को खत्म करने के लिए अपने संपर्कों का उपयोग किया है। यकीनन कोई भी देश इससे नाखुश नहीं होगा।"
राजनयिक सूत्रों ने कहा- 1957 की नेहरू की नीति पर चल रहा भारत
राजनयिक सूत्रों ने भी भारत के रुख का बचाव किया है। उन्होंने NDTV से कहा कि भारत का रूख 1957 की नेहरू की उस नीति के अनुरूप है जिसके तहत भारत आलोचना करने के क्षेत्र में नहीं है और वो संघर्षों का समाधान निकालने के लिए माहौल बनाने का काम करता है। एक सूत्र ने कहा, "किसी ने भी भारत पर यूक्रेन में जो हो रहा है, उसका समर्थन करने का आरोप नहीं लगाया है।"
आज प्रधानमंत्री मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के बीच बैठक
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया की तरफ से ये बयान ऐसे समय पर आए हैं जब आज प्रधानमंत्री मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के बीच वर्चुअल बैठक होगी। इस बैठक में यूक्रेन युद्ध और इंडो-पैसिफिक इलाके पर इसके प्रभाव पर भी चर्चा की जाएगी। बैठक से पहले ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 29 प्राचीन भारतीय धरोहरें सौंपी हैं। इनमें भगवान शिव, भगवान विष्णु और जैन परंपरा की कई तस्वीरें शामिल हैं। सबसे पुरानी वस्तु 9-10 सदी की है।